Import Duty On Drugs: सस्ती हो सकती हैं महंगी दवाएं, कैंसर सहित ये 200 दवाएं हैं लिस्ट में
HIV and Cancer Medicines Become Cheaper : महंगी दवाएं सस्ती हो सकती हैं। इसको लेकर तैयारी चल रही है। कैंसर, एचआईवी जैसी कुछ 200 दवाएं सस्ती हो सकती हैं।
HIV and Cancer Medicines Become Cheaper (फोटो सोर्स : Freepik)
HIV and Cancer Medicines Become Cheaper : क्या आपने कभी सोचा है कि जान बचाने वाली दवाएं इतनी महंगी क्यों होती हैं कि आम आदमी की पहुंच से बाहर हो जाती हैं? खासकर कैंसर, एचआईवी, या दुर्लभ बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाएं, जिनकी एक खुराक की कीमत लाखों में होती है। कई परिवारों के लिए एक बड़ा बोझ बन जाती हैं। लेकिन अब शायद यह तस्वीर बदलने वाली है।
हाल ही में एक खबर आई है जिसने लाखों मरीजों और उनके परिवारों को राहत की सांस दी है। केंद्र सरकार की एक समिति ने लगभग 200 महत्वपूर्ण दवाओं पर कस्टम ड्यूटी (आयात शुल्क) में छूट देने की सिफारिश की है। इनमें वो दवाएं शामिल हैं जो कैंसर, एचआईवी, अंग प्रत्यारोपण और खून से जुड़ी गंभीर बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होती हैं। इसका सीधा मतलब है कि अब ये दवाएं भारत में सस्ती हो सकती हैं!
कैंसर की ‘ब्लॉकबस्टर’ दवाएं भी होंगी सस्ती
इस सूची में सबसे खास बात यह है कि दुनिया भर में कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होने वाली कुछ सबसे महंगी और ‘ब्लॉकबस्टर’ दवाएं भी शामिल हैं। इनमें पेम्ब्रोलीजुमैब (ब्रांड नाम Keytruda), ओसिमर्टिनिब (Tagrisso) और ट्रास्तुजुमाब डेरक्सेटोकैन (Enhertu) जैसी दवाएं हैं। ये दवाएं फेफड़ों, स्तन और अन्य गंभीर कैंसर के इलाज में बहुत प्रभावी मानी जाती हैं, लेकिन इनकी ऊंची कीमत के कारण कई लोग इन्हें खरीद नहीं पाते थे। अगर इन पर कस्टम ड्यूटी पूरी तरह से हटा दी जाती है, तो ये दवाएं काफी सस्ती हो जाएंगी और ज्यादा से ज्यादा मरीजों तक इनकी पहुंच बन पाएगी। यह वाकई एक क्रांतिकारी कदम होगा, खासकर ऐसे समय में जब कैंसर के मामले लगातार बढ़ रहे हैं।
सिर्फ कैंसर ही नहीं, और भी कई बीमारियों को मिलेगा लाभ
यह पहल केवल कैंसर तक ही सीमित नहीं है। इस सूची में अंग प्रत्यारोपण (ऑर्गन ट्रांसप्लांट) के बाद दी जाने वाली दवाएं, गंभीर देखभाल (क्रिटिकल केयर) की दवाएं और कुछ ऐसे आधुनिक डायग्नोस्टिक किट भी शामिल हैं जिनके लिए हमें आयात पर निर्भर रहना पड़ता है। इसके अलावा, हाइड्रोक्सीयूरिया जैसी दवाएं, जो सिकल सेल एनीमिया और कैंसर दोनों में इस्तेमाल होती हैं, उन्हें भी 5% की रियायती ड्यूटी के तहत लाने का प्रस्ताव है। इसी तरह खून के थक्के जमने से रोकने वाली आम दवा लो मॉलिक्यूलर वेट हेपरिन (ब्रांड नाम एनोक्सापेरिन) को भी इस श्रेणी में रखा गया है।
पूरी तरह से छूट वाली सूची में 69 दवाएं हैं जबकि 5% रियायती शुल्क वाली सूची में 74 दवाएं हैं। यह दिखाता है कि सरकार का उद्देश्य व्यापक स्तर पर दवाओं की लागत को कम करना है।
दुर्लभ बीमारियों के लिए संजीवनी
इस रिपोर्ट का एक और महत्वपूर्ण पहलू दुर्लभ बीमारियों (रेयर डिजीज) से जुड़ा है। स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (SMA), सिस्टिक फाइब्रोसिस, गौचर रोग, फैब्री रोग जैसी दुर्लभ बीमारियों का इलाज अक्सर बेहद महंगा होता है। कुछ जीन-आधारित और एंजाइम रिप्लेसमेंट थेरेपी की एक खुराक की कीमत कई करोड़ रुपये तक होती है। इन बीमारियों से पीड़ित परिवारों के लिए यह लागत किसी सदमे से कम नहीं होती। अब Zolgensma, Spinraza, Evrysdi, Cerezyme और Takhzyro जैसी ‘ब्लॉकबस्टर’ दुर्लभ बीमारी की दवाओं को भी कस्टम ड्यूटी से पूरी तरह छूट देने की सिफारिश की गई है। यह उन परिवारों के लिए संजीवनी से कम नहीं होगा जो अब तक अपने बच्चों या प्रियजनों के इलाज के लिए दर-दर भटक रहे थे।
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भविष्य के लिए एक स्थायी समाधान
इस पैनल ने एक बहुत ही दूरदर्शी सिफारिश भी की है: ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DGCI) द्वारा अगस्त 2024 में गठित इस समिति ने, जिसका नेतृत्व संयुक्त ड्रग कंट्रोलर आर चंद्रशेखर कर रहे हैं और जिसमें इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR), फार्मास्यूटिकल्स विभाग और स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (DGHS) के सदस्य शामिल हैं, एक स्थायी अंतर-विभागीय समिति (Permanent Inter-Departmental Committee) बनाने का सुझाव दिया है। यह समिति DGHS के तहत काम करेगी और भविष्य में भी ऐसी दवाओं की समीक्षा कर राजस्व विभाग को सिफारिशें देगी। यह कदम सुनिश्चित करेगा कि दवाओं की कीमतों पर लगातार नजर रखी जाए और जरूरतमंद मरीजों को हमेशा सस्ती दवाएं मिलें।
क्यों है यह इतना महत्वपूर्ण?
भारत में दवाओं की कीमतें हमेशा एक बड़ा मुद्दा रही हैं। खासकर आयातित दवाओं पर लगने वाली कस्टम ड्यूटी उनकी अंतिम कीमत को काफी बढ़ा देती है। इस कदम से न केवल मरीजों को आर्थिक राहत मिलेगी, बल्कि यह देश में स्वास्थ्य सेवा को भी अधिक सुलभ बनाएगा। जब जीवनरक्षक दवाएं सस्ती होंगी, तो लोग समय पर इलाज करा पाएंगे, जिससे मृत्यु दर में कमी आएगी और जीवन की गुणवत्ता में सुधार होगा। यह भारत को एक स्वास्थ्य संपन्न राष्ट्र बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकता है। यह दिखाता है कि सरकार आम आदमी के स्वास्थ्य को लेकर कितनी गंभीर है। अब देखना यह है कि ये सिफारिशें कितनी जल्दी अमल में आती हैं और मरीजों को कब तक इस राहत का फायदा मिल पाता है।
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