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किड्स कॉर्नर- चित्र देखो कहानी लिखो, बच्चों की लिखी रोचक कहानियां

अर्जुन एक गरीब चरवाहा लड़का था। वह और उसके 5 लोगों का परिवार मुश्किल से अपनी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए पैसे जुटा पाते थे और वे दिन में सिर्फ़ एक बार खाना ही खा पाते थे। एक दिन, अर्जुन की बारी मवेशियों को ले जाने की थी और जब वह अपनी बांसुरी बजा रहा था, तो उसे एक पेड़ दिखाई दिया। यह छोटा थ।

जयपुरJul 12, 2025 / 07:55 pm

Jyoti Kumar

kids corner

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किरण नामक एक 12 साल का बच्चा हरियाली से भरे हुए पार्क में जाता है। वह पार्क काफी बड़ा था और किरण उसमें पहली बार गया था। किरण वहां भटक जाता है और तभी उसे तीन कौवे एक पक्षी को परेशान करते हुए दिखते हैं। उसे उसी समय बहुत तेज प्यास भी लग जाती है।

पक्षी और लड़का


किरण नामक एक 12 साल का बच्चा हरियाली से भरे हुए पार्क में जाता है। वह पार्क काफी बड़ा था और किरण उसमें पहली बार गया था। किरण वहां भटक जाता है और तभी उसे तीन कौवे एक पक्षी को परेशान करते हुए दिखते हैं। उसे उसी समय बहुत तेज प्यास भी लग जाती है। किरण उन कौओं को भगा देता है और पक्षी की जान बचा लेता है। वह पक्षी भी फिर उसकी मदद करने के लिए पीछे नहीं हटता। पहले तो वह उसे उसी पार्क के एक छोटे से तालाब के पास ले जाता है, जहां से किरण पानी पीने के साथ एक ग्लास भी भर लेता है। फिर वह पक्षी उसे पार्क के गेट तक पहुंचा देता है और वह दोनों अच्छे मित्र बन जाते हैं। किरण उसे पक्षी को अलविदा कहकर अपने घर की ओर चला जाता है। वह अब हर रविवार को उसे पार्क में जाता है और उस पक्षी के साथ वक्त बिताता है।
नाम-सोनाक्षी
उम्र- 10 वर्ष

चिड़िया का घोसला


एक राजू नाम का लड़का था। वह सुबह जब भी अपने घर से बाहर निकलता तो पेड़ पर चिड़िया अपने घोंसले में जाती दिखती। एक दिन राजू ने खड़े रहकर घोसले की तरफ देखा तो वह चिड़िया अपने बच्चों के लिए चौंच में दाना लेकर आ रही थी, तो जैसे ही वह चिड़िया अपने घोसले की तरफ आती दिखाई दी, तो उसके बच्चे खुशी के साथ झूमते हुए मानो अपनी मां के स्वागत मे गाना गा रहे हों। यह देख राजू ने सोचा कि मां—बाप अपना पूरा जीवन बच्चों के लिए लगा देते हैं और एक दीवार की तरह अपने बच्चों के लिए ढाल बनकर खड़े रहते हैं, तो हम बच्चों को भी मां—बाप की इज्जत करनी चाहिए और बुढ़ापे में उनकी सेवा करनी चाहिए।
मीनाक्षी नरसाणा 8 वर्ष

पेड़ और चरवाहा


अर्जुन एक गरीब चरवाहा लड़का था। वह और उसके 5 लोगों का परिवार मुश्किल से अपनी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए पैसे जुटा पाते थे और वे दिन में सिर्फ़ एक बार खाना ही खा पाते थे। एक दिन, अर्जुन की बारी मवेशियों को ले जाने की थी और जब वह अपनी बांसुरी बजा रहा था, तो उसे एक पेड़ दिखाई दिया। यह छोटा था और यह एक बड़ी लकड़ी जैसा था। वह उसके पास गया और देखा कि यह चारों ओर से स्टंप से घिरा हुआ था। वह बहुत दुखी हुआ और मवेशियों को घर ले जाने के बाद उसने अपने परिवार से विनती करते हुए कहा, यह एकमात्र पेड़ बचा था। हम इसे उगा सकते हैं, और पेड़ लगा सकते हैं और इस पुरानी झोपड़ी और छोटे भेड़ों के व्यवसाय को एक खूबसूरत हवेली और फलते-फूलते पेड़ के बाज़ार में बदल सकते हैं! वे सहमत हो गए और जल्द ही, उनके पास एक शानदार हवेली और एक पेड़ का खेत था जो कई एकड़ लंबा था। एक दिन एक कठफोड़वा ने छोटे पेड़ के ऊपर अपना घोंसला बनाया था, जो अब सुंदर और पत्तेदार था। उसने एक तस्वीर ली और उसे दीवार पर टांग दिया। वह इसे हमेशा याद रखता था।
मीरा गुप्ता 9 साल

पक्की दोस्ती


अमित जंगल में घूम रहा था, जब उसने एक पेड़ पर एक सुंदर पक्षी को बैठे हुए देखा। अमित को पक्षी की सुन्दरता ने आकर्षित किया। वह उसके पास गया और उससे दोस्ती कर ली। अमित ने उस पक्षी का नाम चुनमुन रखा। दोनों ने बातें कीं और जल्द ही अच्छे दोस्त बन गए। अमित ने चुनमुन के लिए अपने घर के पास एक घोसला बनाया। अमित और चुनमुन साथ में खुश थे। उनकी दोस्ती बढ़ती गई और वे एक दूसरे के साथ समय बिताना पसंद करने लगे। अमित को चुनमुन के साथ बिताए पल बहुत पसंद आने लगे।
नाम – नबा आफाक खान
उम्र – 8 साल

राजू का प्रकृति प्रेम


एक समय की बात है, एक गांव में राजू नाम का एक जिज्ञासु बच्चा रहता था। उसे प्रकृति से बहुत प्यार था और वह अक्सर जंगल में घूमने चला जाता था। एक दिन, जब वह अपनी बाल्टी लिए जंगल में घूम रहा था, तो उसने एक पेड़ पर बैठी एक सुंदर चिड़िया को देखा। चिड़िया चहचहा रही थी और राजू मंत्रमुग्ध होकर उसे देखने लगा। तभी उसकी नज़र कुछ तितलियों पर पड़ी, जो उसके पास से उड़कर जा रही थीं। राजू ने अपनी बाल्टी ज़मीन पर रखी और उन तितलियों का पीछा करने लगा। तितलियां कभी फूलों पर बैठतीं, तो कभी हवा में नाचतीं। राजू उन्हें देखकर बहुत खुश हुआ। उसे लगा जैसे प्रकृति उसे कुछ सिखा रही है – जीवन की सुंदरता और आज़ादी। वह समझ गया कि प्रकृति के साथ समय बिताना कितना ज़रूरी है, क्योंकि यह हमें अंदर से शांत और खुश महसूस कराता है। उस दिन राजू ने न केवल तितलियों और चिड़िया को देखा, बल्कि उसने अपने भीतर की दुनिया को भी समझा।
नाम भावेश कुमार
उम्र 12

जंगल में मंगल


एक दिन की बात है लवि अपनी नानी के गांव आया था। वह घूमता हुआ खेतों में चला गया। उसकी नजर एक ऊंचे पेड़ पर बैठे एक सुंदर पक्षी पर पड़ी। वह बहुत ही मधुर आवाज में चहचहा रहा था। उसकी मधुर आवाज सुन कर उसने प्रकृति को धन्यवाद दिया। कितनी सुंदर है प्रकृति, उस पक्षी और पेड़ के पास ही रंग—बिरंगी सुंदर तितलियां भी आकर उड़ने लगी। दृश्य ओर भी सुंदर हो गया। लवि उनको देख कर खुश हो रहा था। उसने आनंद की अनुभूति के लिए अपने हाथ तितलियां की ओर बढ़ाए उन्हें छूना चाहता था, लेकिन तितलियां उसके चारों ओर मंडरा रही थी जैसे पकड़म पकड़ा खेल रही हों। लवि ने देखा और महसूस किया प्रकृति कितनी सुंदर है, हमें इनका सम्मान करना चाहिए और वह उस प्रकृति की मधुर आवाज और सुंदरता की ताजा यादों के साथ घर चला गया।
त्रिशिका शर्मा
उम्र 9 वर्ष कोटा राजस्थान

पक्षियों की सुंदर दुनिया


एक बार की बात है, एक छोटा लड़का था जिसका नाम अर्जुन था। वह बहुत ही जिज्ञासु और प्रकृति प्रेमी था। हर दिन वह अपने गांव के पास के जंगल में घूमा करता था, जहां वह पक्षियों, तितलियों और पेड़ों को निहारा करता था। एक दिन सुबह-सुबह वह अपनी छोटी सी बाल्टी और जाल लेकर जंगल की ओर निकल पड़ा। चलते-चलते उसे एक रंग-बिरंगी तितली दिखाई दी, जो एक गुलाबी फूल पर बैठी थी। वह तितली को पकड़ना चाहता था, लेकिन तभी उसकी नजर एक लकड़ी के तने पर बैठी सुंदर सी कठफोड़वा चिड़िया पर पड़ी। वह मंत्रमुग्ध होकर उसे देखने लगा। तभी तीन काले पक्षी आसमान में उड़ते हुए पेड़ों के बीच से गुज़रे। अर्जुन की आंखें चमक उठीं। वह सोचने लगा, “कितनी सुंदर है ये दुनिया! पक्षी, तितलियां, पेड़-पौधे… सब जीवित हैं, सबका अपना एक संसार है।” वह अपने जाल और बाल्टी को एक तरफ रख देता है और पेड़ की छांव में बैठ कर उन सबको निहारता है। अब उसका मन उन्हें पकड़ने का नहीं, बल्कि उन्हें समझने और उनकी रक्षा करने का हो गया था। अर्जुन उस दिन से एक नन्हा प्रकृति संरक्षक बन गया।
वंशिका अग्रवाल
उम्र 12 वर्ष पिलानी

पेड़ वाला इनाम


गर्मी की छुट्टियों में कक्षा पांच के बच्चों को स्कूल से एक खास प्रोजेक्ट दिया गया — “हर बच्चा एक पेड़ लगाए और उसकी देखभाल करे।” सुनते ही बच्चों में उत्साह भर गया। अगले दिन स्कूल के बगीचे में सब बच्चे अपने-अपने पेड़ लेकर पहुंचे— कोई आम का पौधा, कोई गुलाब, तो कोई नीम। टीचर ने बताया, जिस बच्चे का पेड़ सबसे अच्छा खिलेगा, उसे मिलेगा ‘ग्रीन हीरो’ का इनाम! अब तो जैसे बच्चों में होड़ लग गई। कुछ बच्चों ने रोज़ पानी देना शुरू किया, कुछ ने खाद डाली, और कुछ तो अपने पौधों से बातें करने लगे।
मिथिला नाम की एक शांत लड़की थी, जो हर दिन चुपचाप अपना पौधा सींचती, उससे बात करती और उसके पास बैठकर कहानियां सुनाती। उसके दोस्तों को यह अजीब लगता था, पर वह अपनी धुन में लगी रही। कई हफ्तों बाद, सबके पौधे हरे-भरे हो गए। लेकिन मिथिला का पौधा न सिर्फ हरा-भरा था, बल्कि उसमें खूबसूरत बैंगनी फूल भी खिले थे। टीचर ने सब बच्चों को बुलाया और घोषणा की, इस साल का ग्रीन हीरो है — मिथिला! बच्चों ने तालियां बजाई और मिथिला मुस्कुरा दी।
लक्ष्या माहेश्वरी 8 साल

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