फिर कैसे हो पालना
आरटीआई जागृति मंच की आरटीआई से जुटाई जानकारी के अनुसार जिले में 132 ईंट भट्टा इकाइयों ने मिट्टी खनन व उठाने की अनुमति नहीं ले रखी है। खान एवं भू विज्ञान विभाग के अनुसार मई 2024 तक सिर्फ 398 ईंट भट्टों ने ही माटी खनन की अनुमति ले रखी थी। जबकि राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल, हनुमानगढ़ के रेकॉर्ड के अनुसार मई 2024 तक जिले में 530 ईंट भट्टे थे। जाहिर है कि 132 ईंट भट्टों के संचालक सरकारी नियमों की धज्जियां उड़ाकर पर्यावरण संरक्षण तो करते नहीं होंगे। हालांकि इस साल मई-जून तक की बात करें तो जिले में 900 से अधिक ईंट भट्टे संचालित हैं।
हवा जहरीली, कार्रवाई शून्य
वायु प्रदूषण के लिए यहां ईंट भट्टों की अधिक संख्या को बड़ा कारण माना जाता है। स्विट्जरलैंड की वायु गुणवत्ता तकनीक कंपनी आईक्यूएयर की वल्र्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट 2024 के अनुसार हनुमानगढ़ में पीएम 2.5 का स्तर डब्ल्यूएचओ की सीमा से 10 गुना ज्यादा पाया गया था। इसके चलते दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में हनुमानगढ़ बारहवें नम्बर पर था। इसके बावजूद देखिए कि राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने पांच साल में किसी भी ईंट भट्टे के खिलाफ तय सीमा से अधिक प्रदूषण फैलाने के मामले में एक भी कार्रवाई नहीं की। प्रदूषण नियंत्रण मंडल के रेकॉर्ड में तो सब ठीक है। रोचक यह कि मंडल के पास इस तरह का कोई रेकॉर्ड ही संधारित नहीं है जिससे कि जिले के ईंट भट्टों पर ईंटें पकाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले जलावन या ज्वलनशील पदार्थ का पता चलता हो। इसके बावजूद शायद यह मानकर नियंत्रण मंडल ने कोई कार्रवाई नहीं की होगी कि सब बढिय़ा से नियमों का पालन कर रहे हैं।
थेहड़ का खनन चिंताजनक
आरटीआई जागृति मंच अध्यक्ष प्रवीण मेहन का कहना है कि पुरातत्व विभाग की संरक्षित थेहड़ से माटी खनन चिंतनीय है। विडम्बना है कि वायु प्रदूषण में हमारी स्थिति चिंताजनक है। इसके बावजूद माटी खनन, प्रदूषण नियंत्रण आदि से संबंधित आंकड़े चौंकाने वाले हैं। माटी का अवैध खनन करने वाले भट्टे क्या प्रशासन की अनुमति के बगैर ही संचालित हो रहे हैं।