उप निदेशक खाद्य एवं औषधि प्रशासन किरण सेंगर ने हाईकोर्ट में स्थानांतरण के खिलाफ याचिका दायर की। किरण सेंगर की ओर से तर्क दिया कि मुरैना में खाद्य पदार्थों में मिलावट को रोकने के लिए चलाए गए अभियान में सक्रिय रूप से भाग लिया है। कम समय में 105 नमूने लिए हैं। याचिकाकर्ता को खाद्य पदार्थों में मिलावट करने वाले माफिया के खिलाफ कार्रवाई करने से रोकने के लिए, जिन लोगों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है, उन्होंने याचिकाकर्ता का स्थानांतरण करवाया है। याचिकाकर्ता मुरैना में एकमात्र महिला अधिकारी हैं, इसलिए उनका स्थानांतरण नहीं किया जा सकता था। याचिकाकर्ता के स्थानांतरण का आक्षेपित आदेश अवैध है और इसे रद्द किया जाना चाहिए। एकल पीठ ने स्थानांतरण आदेश के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया। एकल पीठ के आदेश के खिलाफ युगल पीठ में रिट अपील दायर की। रिट अपील को खारिज करते हुए कोर्ट ने गंभीर टिप्पणी की है।
कोर्ट ने गंभीर सवाल खड़े किए
– कोर्ट ने कहा कि किरण सेंगर ने जनवरी से जून 2025 के बीच 105 नमूने लिए गए हैं, तो प्रश्न उठता है कि इस अवधि से पहले वह क्या कर रही थी। क्या उसने मिलावटी नकली दूध (यूरिया आधारित दूध) और दूध व अन्य रसायनों से बनी मिलावटी वस्तुओं के बड़े पैमाने पर चल रहे कारोबार पर अंकुश लगाने के लिए अपने कर्तव्यों का पालन करने के लिए खुद को कर्तव्यनिष्ठ महसूस किया था? – याचिकाकर्ता 2021 से मुरैना में तैनात है और उसने उक्त पद पर चार वर्ष पूरे कर लिए हैं। उनके प्रदर्शन से कहीं भी यह संकेत नहीं मिलता कि उसने आम आदमी को मिलावटी खाद्य पदार्थों से बचाने के लिए कोई सक्रिय कदम उठाए हैं।
-कानून का मानना है कि नियोक्ता अपने कार्यबल को व्यवस्थित करने का सबसे अच्छा न्यायाधीश है। यह भी कानून में सर्वविदित है कि स्थानांतरण आदेश की न्यायिक समीक्षा नहीं की जा सकती जब तक कि यह दुर्भावनापूर्ण या मनमाने ढंग से किया गया न पाया जाए।