चौकाने वाला ट्रेंड 2016 के बाद बढ़े ऐसे मामले हाईकोर्ट व कुटुंब न्यायालय में काउंसिलिंग करने वाले अधिवक्ताओं से पत्रिका ने तलाक का ट्रेंड जाना तो एक चौंकाने वाला ट्रेंड सामने आया है, जहां पत्नी अपने पतियों से तलाक की कीमत के रूप में 10 से 50 लाख रुपये तक की मांग कर रही हैं। यह राशि अक्सर शादी में हुए खर्च से 7 से 10 गुना अधिक होती है। इस प्रकार के मामलों में वृद्धि 2016 के बाद से देखी गई है, जब पति-पत्नी के रिश्तों में खटास बढ़ने लगी और शादियां कम समय में टूटने लगीं।
पूरा ब्यौरा रख देती है पत्नी, इसी आधार पर कीमत -काउंसिलिंग के दौरान दोनों के बीच जब सुलह कराई जाती है तो पति-पत्नी एक दूसरे का ब्यौरा काउंसलर के सामने रख देते हैं। यदि पत्नी की पति की पैतिृक संपत्ति, उससे होने वाली आय का हवाला देती है। इसी आधार पर तलाक की कीमत भी पत्नी तय कर देती है।
-पत्नी जो पैसा मांग रही है, उसका 25 फीसदी हिस्सा पति आसानी से देने के लिए तैयार होता है। दहेज में दिया पैसा व सामान देने पर ही पति अड़ा रहता है।
-काउंसलर पति को राशि बढ़ाने व पत्नी राशि कम करने के लिए राजी करते है। जिससे बीच का रास्ता निकल सके, लेकिन बीच के रास्ते तक पहुंचने से पहले एक दूसरे की तू तू मैं मैं हो जाती है।
-इस कारण मीडिएशन की सफलता की स्थिति देखी जाए तो 65 है।
एक्सपर्टएचके शुक्ला, काउंसलर हाईकोर्ट लड़के लिए तलाक लेना काफी महंगा हो गया। पत्नियां नकदी के साथ-साथ संपत्ति में हिस्सा मांग रही है। भले ही पति की लाख रुपए देने की हैसियत नहीं है, पर तलाक की कीमत 10 से 50 लाख के बीच आंक दी है। ऊंची कीमत बताए जाने पर उनके परिवार वालों को समझाया जाता है तो थोड़ी बहुत राशि कम करती हैं। अधिकतर केसों में ऐसी स्थिति है। इसलिए मीडिएशन सफल नहीं हो रहे हैं।