इतिहास में छिपे भविष्य के सबक
1906 से अब तक की सामान्य और कार्यकारिणी बैठकों की कार्यवाही, फैसले और रणनीतियां अब डिजिटल स्वरूप में उपलब्ध हैं। यह दस्तावेज़ व्यापारिक समस्याओं के समाधान और नीति-निर्माण की ऐतिहासिक प्रक्रिया को समझने में मदद करेंगे। इससे कारोबारी वर्ग वर्तमान में बेहतर निर्णय ले सकेगा और युवा उद्यमियों को पुराने अनुभवों से सीख मिलेगी।
छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए केस स्टडी का खजाना
कॉमर्स, लॉ, एमबीए, पब्लिक पॉलिसी और ह्यूमैनिटीज के छात्र इस डिजिटल आर्काइव से केस स्टडी कर सकेंगे। व्यापारिक परिवारों की संघर्ष गाथाएं युवाओं को प्रेरित करेंगी। पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम, पूर्व पीएम लालबहादुर शास्त्री और उद्योगमंत्री डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जैसी हस्तियों की चैंबर में मौजूदगी इस कलेक्शन को और भी मूल्यवान बनाती है। यह भी पढ़े –
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डिजिटल कलेक्शन में चैंबर के 3,385 वर्तमान सदस्यों के आवेदन और दस्तावेज भी शामिल हैं। जिन परिवारों की पीढ़ियां चैंबर से जुड़ी रहीं, उनके लिए ये रिकॉर्ड उत्तराधिकार नियोजन में सहायक होंगे। संपत्ति के शीर्षक दस्तावेज और कोर्ट के प्रमुख आदेश भी इस संग्रह का हिस्सा हैं।
प्रकाशनों और तस्वीरों से संजोया गया अतीत
1910 से अब तक की वार्षिक रिपोर्ट्स, 1965 से प्रकाशित मासिक पत्रिका ‘अर्थवार्ता’ और अन्य सभी प्रकाशन इसमें स्कैन किए गए हैं। साथ ही ऐतिहासिक फोटो संग्रह भी इस डिजिटल खजाने का अभिन्न हिस्सा हैं।
भविष्य के व्यापारियों के लिए अमूल्य धरोहर
मानसेवी सचिव दीपक अग्रवाल ने बताया कि यह पहल सिर्फ इतिहास को संजोने तक सीमित नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शक साबित होगी। चैंबर का यह डिजिटल खजाना ग्वालियर के व्यापारिक इतिहास को वैश्विक मंच पर नई पहचान देगा।