गौरतलब है कि पुलिस ऐसे वक्त में डेटाबेस तैयार करने पर जोर दे रही है, जब देश-प्रदेश में प्रवासियों की शिनाख्ती बड़ा मुद्दा है। हालांकि, अफसर इसे बेसिक पुलिसिंग को मजबूत बनाने के लिए पिछले कई महीनों से चल रहे अभियान का एक हिस्सा बता रहे हैं। इसके तहत कामकाज के लिए जिले में बाहर से आने वालों मसलन फेरी, स्टॉल वालों से कहा गया है कि वे लोकल थाने में अपनी जानकारी दें। जानकारी छिपाई, तो पुलिस उन तक खुद पहुंच जाएगी। इसी तरह मकान किराए पर देने वालों से भी अपील की जा रही है कि लोकल थाने में किराएदारों की जानकारी दें।
इसकी एक वजह ये भी है कि बाहरी गैंग कई बार इसी तरह पहचान छिपाकर रहते हैं, फिर बड़ी वारदात को अंजाम देकर फरार हो जाते हैं। कई बार दूसरे राज्यों में फरारी काट रहे भी अपराधी शहरों और गांवों में मुसाफिर या किराएदार के रूप में छिपकर रहते हैं। इस लिहाज से भी कानून और शांति व्यवस्था की खातिर बाहर से आए लोगों के रेकॉर्ड इकट्ठे किए जा रहे हैं। सर्किट हाउस में बैठक के दौरान नगर पंचायत अध्यक्ष महेश यादव, एसडीएम विशाल महाराणा, टीआई अमृत साहू के अलावा बड़ी संख्या में विश्व हिंदू परिषद के सदस्य भी मौजूद रहे।
रजिस्ट्रेशन… फिलहाल ऑफलाइन ही होंगें
किराएदारों का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए
छत्तीसगढ पुलिस ने 4 साल पहले रायपुर और दुर्ग जिले में पायलेट प्रोजेक्ट के तहत काम शुरू किया था। हालांकि, यह सिस्टम पूरी और प्रभावी तरीके से लागू नहीं हो पाया। ऐसे में मकान मालिकों को फिलहाल थाने जाकर ही किराएदारों का ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। वैसे अफसर चाहें तो व्यवस्था बनाने के लिए मिले विशेषाधिकारों के तहत लोगों को स्थानीय प्रशासन की वेबसाइट पर भी किराएदारों के ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की सुविधा मुहैया करवाई जा सकती है।
बेसिक पुलिसिंग दुरुस्त कर रहे हैं। बाहर से आए लोगों की जानकारी रहेगी, तो संदिग्ध मौकों पर जांच-पड़ताल में आसानी होगी। इसके लिए थाना-चौकी स्तर पर डाटाबेस बनाने के निर्देश दिए हैं। – निखिल अशोक कुमार राखेचा, एसपी, गरियाबंद