scriptKab Hai Nag Panchami 2025: नाग पंचमी पर इन 8 नाग की करते हैं पूजा, जानिए डेट, मुहूर्त, महत्व, मंत्र, पूजा विधि और मान्यताएं | Kab Hai Nag Panchami 2025 Puja Vidhi Nag Mantra know date shubh muhurt importance and beliefs | Patrika News
त्योहार

Kab Hai Nag Panchami 2025: नाग पंचमी पर इन 8 नाग की करते हैं पूजा, जानिए डेट, मुहूर्त, महत्व, मंत्र, पूजा विधि और मान्यताएं

Kab Hai Nag Panchami 2025 Puja Vidhi: भारत में नागों को देवता के रूप में पूजा जाता है। भगवान भोलेनाथ के प्रिय महीने सावन के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि इनकी पूजा के लिए समर्पित है। इसीलिए इस तिथि को नाग पंचमी के नाम से जाना जाता है। आइये जानते हैं साल 2025 की नाग पंचमी कब है, नागपंचमी की पूजा विधि, महत्व और मान्यताएं क्या हैं।

भारतJul 02, 2025 / 06:52 pm

Pravin Pandey

Kab Hai Nag Panchami 2025

Kab Hai Nag Panchami 2025 Puja Vidhi: नागपंचमी पूजा विधि और मंत्र (Photo Credit: Pixabay)

Kab Hai Nag Panchami 2025 Puja Vidhi: हिंदू पंचांग के अनुसार नाग पंचमी हर साल श्रावण शुक्ल पक्ष पंचमी को हरियाली तीज के दो दिन बाद मनाई जाती है। इस दिन गांवों में अक्सर कबड्डी, खो-खो जैसे खेल आयोजित किए जाते हैं। साथ ही इस पर्व पर स्त्रियां नाग देवता की पूजा करती हैं और सर्पों को दूध अर्पित करती हैं। साथ ही भाइयों और परिवार की सुरक्षा के लिए प्रार्थना करती हैं। आइये जानते हैं कब है नागपंचमी और पूजा का मुहूर्त क्या है।

कब है नागपंचमी 2025


श्रावण शुक्ल पंचमी का प्रारंभः
28 जुलाई 2025 को रात 11:24 बजे
श्रावण शुक्ल पंचमी तिथि का समापनः 30 जुलाई 2025 को सुबह 12:46 बजे ( 29 जुलाई की देर रात)
उदयातिथि में नागपंचमीः मंगलवार 29 जुलाई 2025
नाग पंचमी पूजा मुहूर्तः सुबह 05:50 बजे से सुबह 08:31 बजे तक
नागपंचमी पूजा अवधिः 02 घंटे 41 मिनट
गुजरात में नाग पंचमीः बुधवार 13 अगस्त 2025 को

नाग पंचमी पर नागों की पूजा का महत्व

मान्यता के अनुसार नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा करने वाले व्यक्ति को सर्प दंश का भय नहीं होता है। इसके अलावा इस दिन सर्पों को दूध से स्नान कराने और पूजन कर दूध पिलाने से अक्षय-पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन घर के प्रवेश द्वार पर नाग चित्र बनाने से घर नाग-कृपा से सुरक्षित रहता है।
इसके अलावा मान्यता है कि यदि प्रतिदिन प्रातःकाल नियमित रूप से नाग मंत्र का जप करते हैं तो नाग देवता समस्त पापों से सुरक्षित रखते हैं और आपको जीवन में विजयी बनाएंगे। कई लोग इस दिन व्रत भी रखते हैं।
ये भी पढ़ेंः घर में छिपकली का रहना शुभ या अशुभ, जानें वास्तु शास्त्र और प्रेमानंद महाराज से संकेत

नाग पंचमी की मान्यताएं क्या हैं

मान्यता है कि नागपंचमी पर सर्पों को अर्पित किया जाने वाला कोई भी पूजन नाग देवताओं के समक्ष पहुंच जाता है। इस दिन अनंत, वासुकी, शेष, पद्म, कंबल, कर्कोटक, अश्वतर, धृतराष्ट्र, शंखपाल, कालिया, तक्षक, पिंगल नागों की पूजा की जाती है।

नाग पंचमी पूजा मंत्र

सर्वे नागाः प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथ्वीतले।
ये च हेलिमरीचिस्था येऽन्तरे दिवि संस्थिताः॥
ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिनः।
ये च वापीतडगेषु तेषु सर्वेषु वै नमः॥
अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलम्।
शङ्ख पालं धृतराष्ट्रं तक्षकं कालियं तथा॥
एतानि नव नामानि नागानां च महात्मनाम्।
सायङ्काले पठेन्नित्यं प्रातःकाले विशेषतः।
तस्य विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत्॥

नाग पंचमी व्रत और पूजन विधि

1.नाग पंचमी व्रत के देवता आठ नाग माने गए हैं। इनमें अनंत, वासुकि, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीर, कर्कट और शंख शामिल हैं। इन अष्टनागों की ही नाग पंचमी पर पूजा की जाती है।
2. व्रत के विधान के अनुसार चतुर्थी के दिन एक बार भोजन किया जाता है और अगले दिन पंचमी पर दिनभर उपवास करके शाम को भोजन किया जाता है।

3. पूजा करने के लिए नाग चित्र या मिट्टी की सर्प मूर्ति को लकड़ी की चौकी के पर स्थान दिया जाता है।
4. फिर हल्दी, रोली (लाल सिंदूर), चावल और फूल चढ़कर नाग देवता की पूजा की जाती है।

5. इसके बाद कच्चा दूध, घी, चीनी मिलाकर लकड़ी के पट्टे पर बैठे सर्प देवता को अर्पित करते हैं।
6. पूजन करने के बाद सर्प देवता की आरती उतारी जाती है।

7. सुविधा की दृष्टि से किसी सपेरे को कुछ दक्षिणा देकर यह दूध सर्प को पिला सकते हैं।

8. अंत में नाग पंचमी की कथा अवश्य सुननी चाहिए।

    नाग पंचमी से जुड़ीं मान्यताएं

    1.हिंदू पुराणों के अनुसार ब्रह्मा जी के पुत्र ऋषि कश्यप की चार पत्नियां थीं। इनकी तीसरी पत्नी कद्रू ने नागों को उत्पन्न किया।

    2. पौराणिक कथानुसार अर्जुन के पुत्र परीक्षित की मृत्यु तक्षक नाग के दंश से हुई थी। इससे नाराज परीक्षित के पुत्र जनमेजय ने सर्पों से बदला लेने और नाग वंश के विनाश के लिए एक नाग यज्ञ किया । इस दौरान नागों की रक्षा के लिए इस यज्ञ को ऋषि जरत्कारु के पुत्र आस्तिक मुनि ने रोका था, जिस दिन इस यज्ञ को रोका गया उस दिन श्रावण मास की शुक्लपक्ष की पंचमी तिथि थी। इसी कारण से इस दिन नागों की पूजा होने लगी।
    नोटः सर्प को दूध पिलाना उनकी सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है, कृपया सांकेतिक रूप से ही दूध अर्पित करें।

      Hindi News / Astrology and Spirituality / Festivals / Kab Hai Nag Panchami 2025: नाग पंचमी पर इन 8 नाग की करते हैं पूजा, जानिए डेट, मुहूर्त, महत्व, मंत्र, पूजा विधि और मान्यताएं

      ट्रेंडिंग वीडियो