ओवल ऑफिस में सैन्य अधिकारियों की बैठक
रिपोर्ट के अनुसार, जकरबर्ग उस वक्त ओवल ऑफिस में पहुंचे, जब अमेरिकी सेना के शीर्ष अधिकारी एक बेहद संवेदनशील बैठक में व्यस्त थे। इस बैठक में अगली पीढ़ी के अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों (जिन्हें F-47 के नाम से संभावित रूप से जाना जा सकता है) के विकास और रणनीति पर चर्चा हो रही थी। जकरबर्ग के अचानक वहां पहुंचने से सैन्य अधिकारी सकते में आ गए, क्योंकि उनके पास इस तरह की गोपनीय बैठकों में शामिल होने के लिए सिक्योरिटी क्लीयरेंस नहीं था। एक अधिकारी ने तुरंत हस्तक्षेप करते हुए जकरबर्ग को कमरे से बाहर जाने और इंतजार करने के लिए कहा।
राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा
जकरबर्ग के प्रवेश से सैन्य अधिकारियों में नाराजगी फैल गई। कुछ अधिकारियों ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताते हुए कहा कि इस तरह की बैठकों में बिना अनुमति किसी का भी आना निजता और गोपनीयता की गंभीर कमी को दर्शाता है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने तो इस घटना को “अजीबोगरीब दुनिया” करार देते हुए अपनी हताशा जाहिर की।
ट्रंप से मिलने पहुंचे जकरबर्ग
हालांकि, व्हाइट हाउस के अधिकारियों ने इस घटना को लेकर पलटवार किया है। उनके मुताबिक, मीडिया ने इसे सनसनीखेज बनाकर पेश किया है। व्हाइट हाउस के एक प्रवक्ता ने बताया कि जकरबर्ग सिर्फ राष्ट्रपति ट्रंप को नमस्ते करने और शिष्टाचार मुलाकात के लिए आए थे। उनकी मंशा किसी बैठक में दखल देने की नहीं थी। गलती से ओवल ऑफिस में प्रवेश करने के बाद उन्हें तुरंत बाहर ले जाया गया, जहां वे ट्रंप के साथ होने वाली औपचारिक बैठक शुरू होने तक इंतजार करते रहे। बाद में, सैन्य अधिकारियों की बैठक खत्म होने के बाद जकरबर्ग की ट्रंप से मुलाकात हुई, जो निर्धारित समय के अनुसार चली।