CG Water Shortage: छत्तीसगढ़ के कई इलाकों में भारी जलसंकट
दुर्ग जिला मुख्यालय से लगे गांवों में लोग दो से तीन किमी दूर से पानी की व्यवस्था कर रहे हैं। यह स्थिति तब है, जब हजार करोड़ रुपए से अधिक घर-घर पानी पहुंचाने के लिए खर्च किया जा चुका है। कई गांवों में नल लगे हैं, लेकिन पानी नहीं आता। टंकी बनी है, लेकिन उसे भरने के लिए पानी नहीं है। पानी के नाम पर अरबों-खरबों खर्च करने के बाद भी अगर पानी नहीं मिल रहा है तो जिम्मेदार अधिकारियों को शर्म आनी चाहिए।
शहरी इलाकों में टैंकर से पानी की सप्लाई हो रही है। हालांकि राजधानी रायपुर समेत कुछ बड़े शहरों में दो वक्त पानी मिल रहा है। लेकिन आउटर के इलाकों में दिनभर का समय पानी की व्यवस्था करने में निकल जा रहा है। बेमेतरा, दुर्ग, राजनांदगांव समेत कई शहरों में पानी खरीदने की नौबत आ रही है।
पानी की व्यवस्था दिनचर्या का हिस्सा है
आम लोगों को पानी के लिए मशक्कत करनी पड़ रही है, वहीं रसूखदारों तक टैंकर आसानी से पहुंच रहा है। ऐसे में चिंता सता रही है कि कहीं संघर्ष की नौबत न आ जाए। कुछ वर्ष पहले तक पानी लूटने की खबरें आती थीं। एक तो बेतहाशा गर्मी, दूसरा पानी के लिए दर-दर भटकना। आम आदमी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। पानी के लिए व्यवस्था सुधारने के नाम पर अरबों रुपए खर्च हो गए, लेकिन समस्या दूर नहीं हुई। पानी की बर्बादी रोकने के लिए कोई एजेंसी काम नहीं कर रही है। पानी बचाने पर भी किसी का फोकस नहीं है।
बारिश का पानी ही हम बचाकर रख पाएं तो संकट के हालात नहीं बनेंगे। जलस्तर लगातार गिरता जा रहा है, उसमें राहत मिलेगी। राजनांदगांव और बालोद में पद्मश्री फुलबासन यादव और शमशाद बेगम सोख्ता बनाने पर जोर दे रही हैं।
वाटर रिचार्ज का यह सबसे बढ़िया तरीका है। यह पहल पूरे प्रदेश में होनी चाहिए। तालाबों का संरक्षण जरूरी है। जलस्रोतों की मरम्मत और उन्हें नया जीवन देने पर काम होना चाहिए। पहले कुएं प्यास बुझाते थे, आज वे खुद अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। सरकार अपनी योजनाओं की समीक्षा करे और जरूरी सुधार करवाए। जनता अपने स्तर पर प्रयास करे।