गत वर्ष की तरह इस वर्ष शहर में जलभराव न हो इसको लेकर नगर परिषद पिछले तीन माह से प्रयासरत है। जिसके लिए तीन जोनों के नाला सफाई का ठेका भी दिया गया। लेकिन मंगलवार दोपहर और रात्रि को झमाझम बारिश ने परिषद और ठेकेदार के कार्यों को आइना दिखा दिया। जहां पर नगर परिषद ने ठीक से नालों की सफाई की वहां जरूर जलभराव की समस्या कम देखने को मिली, लेकिन जहां नाले अभी भी चौक हो रहे हैं, वहां जलभराव के पिछले वर्ष वाला दृश्य सजीव हो गया, जिसमें नर्सरी क्षेत्र प्रमुख रखा। मंगलवार हुई बारिश के बाद मुख्य सडक़ लबालब हो गई। इस क्षेत्र के नालों की सफाई का ठेका हुआ है। ऐसी स्थिति में सवाल उठता है कि ठेकेदार किस प्रकार यहां के नालों की सफाई कराई होगी।
गोविंद वाटिका क्षेत्र के नाले मार रहे उफान प्री मानसून ने अपनी उपस्थिति दर्ज करा दी है, जबकि मानसून भी दो-तीन दिन में आ सकता है। लेकिन राजाखेड़ा बाइपास सहित गोविंद वाटिका क्षेत्रों के चेम्बर और नालों की सफाई अभी तक नहीं की गई है। जबकि यहां भी नालों की सफाई का जिम्मा ठेकेदार के पास ही है। लेकिन अभी तक ठेकेदार एक भी बार वहां नाला सफाई करने नहीं पहुंचा। मानसून को अपने सिर पर देख गोविंद वाटिका क्षेत्र में रहने वाले पांच हजार लोगों के चेहरों पर फिर चिंता की लकीरें खिंच रही है। शिकायत के बाद भी अभी तक गोविंद वाटिका क्षेत्र में कोई सफाईकर्मी नहीं पहुंचा। आलम यह है कि नाले और चेम्बर उफान मार रहे हैं। मुख्य सडक़ पानी से लबालब है। स्थानीय लोगों का कहना है कि पिछले वर्ष भी हम लोगों को भारी जलभराव का सामना करना पड़ा था,और इस वर्ष भी वही हालात बनते जा रहे हैं। लेकिन न ही ठेकेदार और न ही नगर परिषदकर्मी इस ओर ध्यान दे रहे हैं।