जानकारी के अनुसार ग्राम बाजना निवासी मन्त्रराज पुत्र मूलचंद जिनका 20 मार्च 2011 को निधन हो गया था और उनका मृत्यु प्रमाण पत्र भी रजिस्ट्रार जन्म एवं मृत्यु से जारी कर दिया गया था। उनकी पैतृक संपत्ति खसरा संख्या 875, 879, 921, 930, 943 ग्राम कसियापुरा तहसील राजाखेड़ा में स्थित थी। मृतक की कोई संतान नहीं थी। शिकायतकर्ता ईश्वरीप्रसाद पुत्र जसवंत सिंह निवासी बजना ने आरोप लगाया है कि 17 जनवरी को दिलीप पुत्र मानसिंह ने अपने अन्य साथियों अजमेर सिंह पुत्र भीखाराम निवासी मेंगलपुरा,चंद्रशेखर पुत्र मोहन सिंह मेहदपुरा, लक्ष्मण सिंह पुत्र दाताराम देवखेड़ा के साथ मिलकर फर्जी विक्रय पत्र तैयार कराया। जिसमें मृतक मन्त्रराज के स्थान पर अजमेर सिंह को प्रतिरूपित किया गया।
तत्कालीन तहसीलदार, पटवारी समेत पर अन्य पर आरोप
उसका फोटो मृतक के पहचान पत्र पर चस्पा कर कूटरचित तरीके से विक्रय पत्र तैयार किया। इस फर्जी दस्तावेज पर चंद्रशेखर व लक्ष्मण ने बतौर गवाह हस्ताक्षर किए, जबकि दिलीप ने उक्त जाली दस्तावेज को राजाखेड़ा तहसील कार्यालय में प्रस्तुत कर संपत्ति का नामांतरण अपने नाम करवा लिया। शिकायत में इस फर्जीवाड़े में तत्कालीन नायब तहसीलदार टिकेंद्र, हलका पटवारी लाखन सिंह सहित अन्य राजस्व कर्मचारियों की मिलीभगत के आरोप हैं। जिन्होंने न तो विक्रय पत्र की सत्यता की जांच की न ही ग्राम पंचायत को सूचना भेजी और निजी स्तर पर नामांतरण स्वीकृत कर दिया। शिकायतकर्ता ने इस मामले की गंभीर जांच, फर्जी विक्रय पत्र को निरस्त करने, नामांतरण रद्द करने एवं दोषियों के विरुद्ध कानूनी अपराधिक कार्रवाई करने की मांग की है। उधर, मामले में राजाखेड़ा एसडीएम वर्षा मीणा और तहसीलदार दीप्ति देव से बात करनी चाही तो फोन रिसीव नहीं हुआ।
जांच हो तो सामने आएंगे फर्जीवाड़े
भाजपा नेता लक्ष्मीकांत गुप्ता ने बताया कि ऐसे प्रकरण एक दो नहीं दर्जनों हैं। हमने सूची निकाल ली है और सबूत भी इकट्ठे कर लिए हैं। जिन्हें अब सरकार तक पहुंचा रहे हैं। अगर तहसील कार्यालय में प्रत्येक पंजीकरण की जांच की जाए तो ऐसे कई मामलों के खुलासे हो सकते हैं।
जांच शुरू, अब परिणाम पर नजर
पंजीकरण कार्यालय में लंबे समय से भ्रष्टाचार की शिकायतें सामने आ रही हैं, लेकिन इनकी जांच भी इसी विभाग के उच्चाधिकारी कर मामलों में लीपापोती कर देते हैं। ऐसा आरोप भी स्थानीय भाजपा नेता लगा कर लड़ाई लड़ रहे हैं, अब देखना होगा कि पुलिस इस सुनियोजित जालसाजी के मामले में कितनी तत्परता से जांच करती है। हालांकि ऐसे कई प्रकरणों में पुलिस ने पिछले एक वर्ष में कई आरोपियों को जेल भेज दिया है, लेकिन पंजीकरण कार्यालय के अधिकारी कर्मचारी अब तक न्याय की पकड़ से दूर बने रहे हैं।
गजब स्पीड…एक घंटे में नामांतरण स्वीकार
जहां नामांतरण में फरियादियों के चक्कर लगा लगा कर जूते घिस जाते हैं, वहीं इस प्रकरण में तो बिना ग्राम पंचायत को नामांतरण आवेदन को भेजे हुए तहसीलदार की आईडी से ही नामांतरण को सत्तावन मिनट चौदह सेकंड में स्वीकार कर लिया गया। प्रथम दृष्ट्या मामला कूटरचित लग रहा है। दस्तावेज भी धौलपुर तैयार किए गए है। फिर भी गहन जांच आरम्भ कर दी है।
- रामकिशन यादव, थानाधिकारी, राजाखेड़ा