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‘SIR’: बिहार के बाद क्या राजस्थान में भी होगा मतदाता सूची का वेरिफिकेशन? जानें विवाद के क्या हैं कारण

Voter List Verification in Rajasthan: बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान को लेकर मचे सियासी घमासान के बीच अब राजस्थान में भी मतदाता सूचियों के सत्यापन की तैयारियां जोर-शोर से शुरू हो गई हैं।

जयपुरJul 17, 2025 / 06:29 pm

Nirmal Pareek

Voter List Verification in Rajasthan

(राजस्थान पत्रिका फोटो)

Voter List Verification in Rajasthan: बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान को लेकर मचे सियासी घमासान के बीच अब राजस्थान में भी मतदाता सूचियों के सत्यापन की तैयारियां जोर-शोर से शुरू हो गई हैं। भारत निर्वाचन आयोग द्वारा मतदाता सूचियों को सटीक और पारदर्शी बनाने के लिए शुरू की गई इस प्रक्रिया को लेकर राजस्थान में भी चर्चाएं तेज हो गई हैं।
बीते मंगलवार को शासन सचिवालय में मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवीन महाजन की अध्यक्षता में हुई एक अहम बैठक में इस अभियान की रूपरेखा तैयार की गई। इस बैठक में मतदाता सूचियों के गहन परीक्षण और विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) कार्यक्रम को लागू करने का निर्णय लिया गया।
हालांकि, बिहार में इस प्रक्रिया को लेकर उठे विवादों ने राजस्थान में भी सवाल खड़े कर दिए हैं। आखिर SIR क्या है, और यह इतना विवादास्पद क्यों बन गया है?

क्या है विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR)?

विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) भारत निर्वाचन आयोग की एक प्रक्रिया है, जिसका उद्देश्य मतदाता सूचियों को शुद्ध और अपडेट करना है। इसके तहत फर्जी, मृत, स्थानांतरित, या दोहरे पंजीकरण वाले मतदाताओं के नाम हटाए जाते हैं, जबकि 18 वर्ष की आयु पूरी करने वाले नए और योग्य मतदाताओं को सूची में शामिल किया जाता है।
चुनाव आयोग का कहना है कि यह प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 326 के तहत निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है। आयोग का लक्ष्य है कि मतदाता सूची में केवल योग्य भारतीय नागरिकों के नाम शामिल हों। इसके लिए मृत व्यक्तियों, गलत पते पर दर्ज मतदाताओं और अवैध प्रवासियों के नाम हटाए जाएंगे।
बिहार में इस प्रक्रिया के दौरान नेपाल, बांग्लादेश, और म्यांमार जैसे देशों के कथित अवैध प्रवासियों के नाम मतदाता सूची में पाए गए, जिसने विवाद को और हवा दी।

2002 में हुआ था आखिरी SIR

राजस्थान में यह प्रक्रिया आखिरी बार 2002 में की गई थी। इस बार 2002 की मतदाता सूची को आधार मानकर नए सिरे से सत्यापन होगा। यानी, 2002 के बाद जुड़े मतदाताओं को अपने और अपने माता-पिता के जन्मस्थान व पहचान से संबंधित दस्तावेज जमा करने होंगे। बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) घर-घर जाकर गणना फॉर्म (Enumeration Form) वितरित करेंगे और आवश्यक दस्तावेज एकत्र करेंगे।

राजस्थान में SIR की तैयारियां?

मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवीन महाजन ने मंगलवार को जयपुर में आयोजित बैठक में स्पष्ट किया कि राजस्थान में मतदाता सूचियों को और अधिक पारदर्शी बनाने के लिए विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान चलाया जाएगा। इस अभियान के तहत ग्राम पंचायत से लेकर जिला स्तर तक हेल्प डेस्क स्थापित की जाएंगी, ताकि प्रत्येक गांव, ढाणी, कस्बे, और शहर में मतदाताओं को सहायता मिल सके।
बीएलओ, सूचना सहायकों, और पर्यवेक्षकों की नियुक्ति समय पर की जाएगी, और उन्हें इस प्रक्रिया के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। इसके अलावा, स्वयंसेवकों को भी चयनित कर प्रशिक्षण दिया जाएगा।

महाजन ने निर्देश दिए कि रैंडम चेकिंग के लिए विशेष उड़न दस्तों का गठन किया जाए, ताकि कोई भी पात्र मतदाता इस प्रक्रिया से वंचित न रहे। उन्होंने राजनीतिक दलों के साथ समन्वय पर जोर देते हुए कहा कि बूथ लेवल एजेंट्स की नियुक्ति और पोलिंग स्टेशनों का रेशनलाइजेशन मतदाताओं की संख्या, दूरी, और मूलभूत सुविधाओं को ध्यान में रखकर किया जाए। साथ ही, सूचना, शिक्षा, और संचार (IEC) गतिविधियों के जरिए इस अभियान की जानकारी आम जनता तक पहुंचाई जाएगी।

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बिहार में SIR से क्यों उपजा विवाद?

बिहार में SIR को लेकर विपक्षी दलों, खासकर राष्ट्रीय जनता दल (RJD), कांग्रेस, और AIMIM ने तीखा विरोध दर्ज किया है। विपक्ष का आरोप है कि यह प्रक्रिया गरीब, दलित, और अल्पसंख्यक समुदायों को निशाना बनाकर उनके मताधिकार को छीनने की साजिश है। बिहार में SIR के तहत 7.89 करोड़ मतदाताओं में से 35.5 लाख नाम हटाए जा चुके हैं, और यह आंकड़ा 70 लाख तक पहुंच सकता है। इनमें मृत, स्थानांतरित, और दोहरे पंजीकरण वाले मतदाता शामिल हैं।
विपक्षी नेताओं का कहना है कि SIR के लिए मांगे जा रहे दस्तावेज, जैसे पुराना राशन कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र, या माता-पिता के पहचान पत्र, ग्रामीण और गरीब लोगों के पास उपलब्ध नहीं हैं। RJD नेता तेजस्वी यादव ने इसे लोकतंत्र पर हमला बताते हुए कहा कि 1 फीसदी मतदाताओं के नाम हटने से भी 35 विधानसभा सीटों का समीकरण बदल सकता है।
वहीं, AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने इसे नागरिकता साबित करने जैसा कदम बताया, जो अल्पसंख्यकों और कमजोर वर्गों को प्रभावित कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस प्रक्रिया के समय पर सवाल उठाते हुए कहा कि इसे पहले शुरू करना चाहिए था।

राजस्थान में क्या हो सकते हैं प्रभाव?

राजस्थान में SIR की शुरुआत से पहले ही बिहार के अनुभवों को देखते हुए सियासी हलचल बढ़ गई है। विपक्षी दल, खासकर कांग्रेस इसे लेकर सतर्क हैं। राजस्थान में भी ऐसी आशंकाएं जताई जा रही हैं कि दस्तावेजों की कमी के कारण कई पात्र मतदाताओं के नाम सूची से हट सकते हैं। हालांकि, मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवीन महाजन ने कहा कि कोई भी पात्र मतदाता वंचित नहीं होगा, और इसके लिए रैंडम चेकिंग और विशेष निरीक्षण दलों का गठन किया जाएगा।

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