भगवान और भक्त के बीच दूरी का कारण न बनें
पं. प्रदीप मिश्रा के अनुसार यदि आपकी वजह से मंदिर में किसी व्यक्ति की पूजा अर्चना में बाधा आती है यानी भक्त भगवान से दूर हो जाता है तो इसका पुण्यफल मिलने की जगह अशुभ फल मिलेगा। श्रीमद्भागवत कथा में इस तरह के अपराध के लिए ब्रह्माजी को दंड मिला।
पूजन का अभिमान न हो
पं. प्रदीप मिश्रा के अनुसार आप कितना भी बड़ा अनुष्ठान करें, उसका अभिमान नहीं होना चाहिए, क्योंकि अहंकार भगवान का भोजन है। पूजा के बाद मन निर्मल और भक्ति पूर्ण होना चाहिए और उसमें कुछ बड़ा करने का घमंड तनिक भी न हो कि हमने अमुक आयोजन किया वर्ना इसका पुण्य नहीं मिलेगा।
जीवात्मा का दुख पहुंचाना
कथावाचक के अनुसार आप घंटों पूजा कर रहे हैं और पूजा के बाद किसी जीवात्मा को दुख पहुंचा रहे हैं तो पुण्यफल नष्ट हो जाता है। आप भले पूजा न करिये, मंदिर में दीया न जलाओ, भोग न लगाओ पर किसी प्राणी के चेहरे पर कुछ देर के लिए मुस्कान ला दीजिए, वह किसी पूजा से कम नहीं है, दीपक जलाने से कम नहीं है। आपके कारण कोई दुखी है तो आपको सुख नहीं मिल सकता।
पूजा में मंत्र का उच्चारण सही हो
कुबरेश्वरधाम के संस्थापक के अनुसार पूजा पाठ में मंत्रों का उच्चारण सही होना चाहिए। जिस देवता का ध्यान कर रहे हैं उसका मंत्र सही होना चाहिए। एक कथा बताई कि एक सेठ नवरात्रि का पाठ कराता था, यज्ञ कराता था पर नवरात्रि के बाद उसकी पत्नी मर जाती थी।एक के बाद एक 4 पत्नी की मौत के बाद वह अपने गुरु के पास पहुंचा और अपना दुख बताया तो गुरुजी भी संशय में पड़ गए, फिर गुरुजी ने पंडित जी को अनुष्ठान के लिए बुलाया तो गुरुजी सुनने लगे उसी में एक शब्द आया जिसका अर्थ था कि हे जगतजननी मेरे दुख का भक्षण कर ले, लेकिन वो बोल देते थे मेरी पत्नी का भक्षण कर ले।
इसलिए ऐसा हो रहा है, यानी पूजा के बाद भी अशुभ फल मिल रहा है तो अनुष्ठान में गलती जरूर हो रही है। साथ ही परिवार के लोग अलग-अलग तरह के पाठ कर रहे हैं तो प्रभाव अशुभ हो सकता है।
गाय बेटी और लक्ष्मी को विचार कर ही किसी को दें
बेटी का कन्यादान ऐसे व्यक्ति को नहीं करना चाहिए जो दुर्गुणों वाला हो जैसे जुआरी हो, वेश्यावृत्ति में लगा हो, महिलाओं का सम्मान न करता हो आदि। बेटी रोएगी तो कन्यादान करने वाले को रोना पड़ेगा। गाय ऐसे ब्राह्मण को नहीं देना चाहिए जिसके पास रहने खाने का ठिकाना न हो, दूध देना बंद करने के बाद वह कसाई को बेच दे।ऐसे में गाय कटी तो उसकी बद्दुआ दान देने वाले को भी लगेगी। इसके अलावा पैसा ऐसे व्यक्ति को न दें जो मदिरा, वेश्यावृत्ति या बुरे कर्म में लगा दे, इससे लक्ष्मी रोएंगी और आपको नुकसान होगा, जबकि वह सही जगह पर लगे तो दाता के घर भी समृद्धि आएगी। इसलिए इन्हें 50 बार विचारकर ही किसी को दान देना चाहिए।
घर के बुजुर्गों का अपमान
पं. प्रदीप मिश्रा के अनुसार जिस घर में मां बाप और अन्य बुजुर्गों का सम्मान नहीं होता, वहां सुख नहीं रहता। ऐसा करने वाला हमेशा दुखी ही रहता है।
बेकार धन घर में आ जाए
गलत तरीके से जुटाए गए धन से अशुभफल मिलता है। यदि अधर्म की कोई वस्तु घर में आ जाए तो वो सभी पुण्य को साथ ले जाती है। इससे दवा, एक्सीडेंट आदि में धन खर्च करा देता है। इसलिए गलत तरीके कमाया धन घर में न लाएं।