जन्माष्टमी की तिथि
ज्योतिषियों और पंचांग के अनुसार, इस साल कृष्ण जन्माष्टमी 16 अगस्त, शनिवार को मनाई जाएगी। अष्टमी तिथि 15 अगस्त रात 12:58 बजे से शुरू होकर 16 अगस्त रात 10:30 बजे तक रहेगी. वहीं, रोहिणी नक्षत्र का योग 17 अगस्त सुबह 6:28 बजे से 18 अगस्त भोर 4:54 बजे तक रहेगा. चूंकि श्रीकृष्ण का जन्म अर्धरात्रि में हुआ था, इसलिए इस साल 16 अगस्त की आधी रात को ही जन्मोत्सव मनाना शुभ और उचित होगा।
मथुरा और वृंदावन का महत्व
मथुरा को भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि और वृंदावन को उनकी लीलाभूमि माना जाता है। यही वजह है कि यहां जन्माष्टमी का रंग बाकी जगहों से बिल्कुल अलग होता है। मथुरा: श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर में जैसे ही रात 12 बजे जन्म की घोषणा होती है, पूरा परिसर नंद के घर आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की के जयकारों से गूंज उठता है। भगवान का विशेष अभिषेक किया जाता है और भक्तों के बीच प्रसाद वितरित होता है।
वृंदावन: बांके बिहारी मंदिर में जन्माष्टमी पर भव्य सजावट होती है। फूलों और रंग-बिरंगी रोशनी से सजे मंदिर में रात 12 बजे मंगला आरती होती है। इस क्षण के दर्शन के लिए हजारों भक्त दूर-दूर से आते हैं।
नंदोत्सव का आनंद
जन्माष्टमी के अगले दिन यानी 17 अगस्त, रविवार को नंदोत्सव मनाया जाएगा। यह पर्व भगवान कृष्ण के जन्म की खुशी में मनाया जाता है। इस दिन मंदिरों में मिठाइयां, फल, खिलौने और सिक्के भक्तों में बांटे जाते हैं। सुबह से ही भजन-कीर्तन शुरू हो जाते हैं और पूरे दिन भक्तिमय वातावरण बना रहता है।
पूजा का शुभ मुहूर्त
निशिता पूजा का समय: 16 अगस्त की रात 12:04 बजे से 12:47 बजे तक कुल अवधि: 43 मिनट