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CG News: गौरैया तीर्थ धाम के कुंड में डूबने से युवक की मौत, नहाने के दौरान हुआ हादसा, तलाश में जुटी SDRF की टीम पश्चात मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष आनंद पवार और महापौर रामू रोहरा ने विधिवत पूजा-अर्चना कर 30 फीट गहरे बावड़ी में जल अर्पित किया। इसमें इलाहाबाद से लाए गए गंगाजल, मानसरोवर से लाए गए जल, महानदी का जल, राजिम त्रिवेणी संगम का जल अर्पित किया गया। इसके बाद देर शाम तक बावड़ी में जल अर्पित करने के लिए भक्तों की लंबी लाइन लगी रही। वर्षों बाद बावड़ी में भक्तों को प्रवेश मिला। कई भक्त बावड़ी को देखने उत्सुक थे।
इन तीर्थों का जल बावड़ी में अर्पित किया गया गंगा दशहरा के दिन बावड़ी में पुन: जल संचरण और संरक्षण की पहल की गई है। इस अवसर पर गंगा, यमुना, गौमुखी, रामेश्वरम, तिरूपति, प्रयागराज, त्रिवेणी संगम, राजिम, महानदी, अमृतसर, बारह ज्योर्तिलिंग, चारोधाम आदि से लाए गए जल को बावड़ी में अर्पित कर नगरवासियों की सुख-समृद्धि की कामना की गई। बताया गया कि बावड़ी का सौंदर्यीकरण भी किया जाएगा। इस अवसर पर मराठा समाज की महिलाआें और युवतियों ने सुंदरकांड का पाठ भी किया।
विंध्यवासिनी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष आनंद पवार ने बताया कि विंध्यवासिनी मंदिर स्थित प्राचीन बावली को ३६ साल पहले किसी कारणवश बंद कर दिया गया था। माता विंध्यवासिनी की प्ररेणा से खुदाई कर इसका जीर्णोद्धार कराया गया है। बावड़ी की सीढ़ियां आज भी यथावत है। गंगा दशहरा के अवसर पर बावड़ी की सीढ़ियों को आकर्षक रंगोली से सजाया गया था।
जल चढ़ाने के लिए सर्व समाज के अशोक पवार, दीपक लखोटिया, राकेश दीवान, मदनमोहन खंडेलवाल, माधवराव पवार, सूर्याराव पवार, डॉ हीरा महावर, दीपक राय, सतीश पवार, बाबी पवार, दीपक लोंढे, गोपाल रणसिंह, योगेश रायचुरा, दिलीपराज सोनी समेत बड़ी संया में श्रद्धालु देर शाम तक पहुंचते रहे।