अब वाहनों के दबाव को देखते हुए एमपीआरडीसी ने इसे फोरलेन में तब्दील करने की योजना बनाई है। इस रोड का निर्माण बीओटी, हाइब्रिड ऐन्यूटी या इपीसी की तर्ज पर करने की योजना है। इनमें से किसी एक मॉडल को मंत्रिपरिषद की अनुमति के बाद फाइनल किया जाएगा।
बीओटी पैटर्न पर हुआ था निर्माण
उल्लेखनीय है कि एमपीआरडीसी ने वर्ष 2010 में देवास से भोपाल तक के रोड को फोरलेन किया गया था। यह कार्य बीओटी पैटर्न पर हुआ था। तब से ही संबंधित निर्माण कंपनी यहां टोल वसूल रही है। इस मार्ग पर फिलहाल तीन जगह टोल हैं। कंपनी का वर्ष 2033 तक टोल वसूली व सड़क के रखरखाव का अनुबंध है। वहीं कोविड के कारण इसके कार्यकाल में 257 दिनों की अतिरिक्त वृद्धि की गई है। उधर 2033 तक कंपनी का अनुबंध होने के चलते सिक्सलेन में तब्दील करने में अड़चन भी आने की संभावना है। इस मसले को हल करने के लिए भी मंथन किया जा रहा है।
2010 बना था फोरलेन
149 किमी लंबा है देवास-भोपाल फोरलेन 2010 में हुआ था फोरलेन निर्माण 03 स्थानों पर है टोल बूथ 30 हजार वाहन प्रतिदिन निकलते हैं सिक्सलेन की तैयारी चल रही है। इस पर भोपाल एमपीआरडीसी के एमडी भरत यादव ने कहा कि देवास-भोपाल रोड पर वाहनों का दबाव बढ़ा है। इसे सिक्सलेन करने के लिए तैयारी चल रही है।
देवास से भोपाल तक जब फोरलेन का निर्माण हुआ था उस समय किसी भी कस्बे या गांव में ओवरब्रिज या ओवरपास का निर्माण नहीं किया गया था। ऐसे में विभिन्न कस्बों व गांवों के कट पॉइंट के अलावा जगह-जगह ढाबों के सामने व अन्य स्थानों पर बने अवैध कट पाइंट के कारण आए दिन हादसे होते रहते हैं। साथ ही फोरलेन निर्माण के समय इस रोड पर वाहनों का दबाव कम था लेकिन वर्तमान में वाहनों का दबाव बढ़ गया है। जानकारी के अनुसार प्रतिदिन इस रोड पर 30 हजार वाहन गुजरते हैं।