जयपुर, दिल्ली एवं मुंबई में करा चुका इलाज
पिता कुलदीप शर्मा ने बताया कि उसके एक बेटा एवं एक बेटी है। दोनों ही 10वीं कक्षा में अध्ययनरत हैं। पुत्र हार्दिक शर्मा जब 8-9 साल का था तो पैरों में दर्द होना एवं जकडऩ जैसी स्थिति होना शुरू हो गई। जयपुर, दिल्ली, मुंबई एवं चण्डीगढ़ सहित कई जगह ले जाकर उपचार कराया। जिसमें लाखों रुपए खर्च हो गए, लेकिन अब बच्चे की स्थिति सुधरने की बजाय धीरे-धीरे बिगडऩे लगी है। पहले तो चल फिर तक लेता था, लेकिन अब वह भी बंद हो गया। अब मात्र इलेक्ट्रिक व्हीलचेयर पर ही बैठकर चलता है। जबकि वह पढऩे में होशियार है।मस्कुलर डिस्ट्रॉफी बीमारी से ग्रसित है बेटा
उन्होंने बताया कि चिकित्सकों ने पुत्र के मस्कुलर डिस्ट्रॉफी बीमारी से ग्रसित होना बताया है। चिकित्सक इस बीमारी के उपचार पर 17 से 18 करोड़ रुपए का खर्चा होने की बात कह रहे हैं। इतनी बड़ी रकम उनके पास नहीं है और अब सब कुछ भगवान पर छोड़ दिया। चिकित्सकों के मुताबिक इस बीमारी से ग्रसित होने पर चाल या दौडने में समस्या होने के साथ ही मांसपेशियों में कमजोरी एवं धीरे-धीरे बाद में परेशानी बढऩे लगती है। इसके अलावा स्कोलियोसिस के विकसित होने एवं बीमारी बढऩे पर गतिशीलता कम होने जैसी समस्या भी आ सकती है। यह बीमारी बहुत कम लोगों में होती है।अधिकतर विदेशों में होता है उपचार
मस्कुलर डिस्ट्रॉफी एक दुर्लभ बीमारी है। इसकी थैरेपी एवं इलाज पर 17 से 18 करोड़ रुपए का खर्चा आता है और अधिकतर विदेशों से ही उपचार होता है। उनके पास भी ऐसे कुछ मरीज परामर्श ले रहे हैं। वैसे जांच रिपोर्ट एवं फाइल देखने के बाद ही बताया जा सकता है कि मरीज के यह बीमारी किस स्तर पर है।-डॉ.एस.के. सोनी, शिशुरोग विशेषज्ञ बांदीकुई