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दमोह में अवैध मुरम उत्खनन करने के बाद छोड़े गड्ढे बन रहे मौत की खंती

हर साल बच्चों की मौत का बन रहे कारण, बोरवेल और कुंआ ढंके, इन गड्ढों को किया अनदेखा

दमोहJul 20, 2025 / 12:14 pm

Samved Jain

दमोह. बारिश का दौर शुरू हो गया है, ऐसे में अवैध मुरम उत्खनन कर छोड़े गहर तालाबनुमा गड्ढों में जलभराव शुरू हो गया है। जो कब किसकी मौत का कारण बन जाएं, कहा नहीं जा सकता। ये गड्ढे हर साल बच्चों और सैकड़ों मवेशियों की मौत का कारण बन रहे है, बावजूद इसके प्रशासन का ध्यान इस ओर नहीं है।
खास बात है कि प्रशासन द्वारा ही इन गड्ढों को तालाब, तलैयों के गहरीकरण और जलसंरक्षण के नाम पर खोदने की परमीशन दी जाती है और इसकी आड़ में अवैध मुरम उत्खनन और इसका व्यवसायिक उपयोग किया जाता है। काम निकलने के बाद इन जगहों पर न तो तलैया बनाई जाती है और न ही तालाब। यह जरूर है कि इनके आकार में बड़े-बड़े गड्ढे जरूर हो जाते हैं। जिनके आसपास न कोई बंधान होता है और कोई सुरक्षा के सूचकांक।
यही वजह है कि बारिश में भरने के बाद इन गड्ढों में हर साल किसी न किसी की जान जरूर जाती है। वहीं जानवरों और पशुओं की बड़ी संख्या में मौत इनमें होती है। हर साल होने वाली इन मौतों की जिम्मेदारी कोई नहीं लेता है, ना ही इसे लेकर अब तक कोई बड़ी कार्रवाई जिले में हो सकी है।
देहात थाना क्षेत्र में सबसे ज्यादा गड्ढे
शहर के उपनगरीय क्षेत्र यानि नए दमोह की बसाहट इन दिनों तेजी से चल रही है। जिसमें नवीन कॉलोनियों के साथ नवीन परिसर खेतों में वृहद स्तर पर तैयार कराए जा रहे हैं। अधिकांश नया शहर देहात थाना क्षेत्र में बसा हुआ है, जिसके आसपास का एरिया अवैध मुरम उत्खनन के लिए सबसे ज्यादा पसंदीदा हैं। ऐसे में सबसे ज्यादा बड़े गड्ढे में इन क्षेत्रों में देखने मिलते हैं। शहर से लगे बांसा, बरमासा, कौरासा, पिपरिया दिगंबर,
लाडनबाग, पटपरा, हथना, किल्लाई, जमुनिया, मारूताल, बरपटीए, राजा पटना, आमचौपरा, अथाई, राजनगर, मराहार, सिंगपुरए, इमलाई, खजरी, धरमपुरा, उमरी क्षेत्र में जगह-जगह इस तरह के बड़े-बड़े गड्ढे देखने मिलते है।
जिले भर में देखने मिलते हैं मौत के गड्ढे
शहर के उपनगरीय क्षेत्र के अलावा जिले भर में भी इस तरह की करीब ३०० मौत की खंतियां देखने मिलती है। पथरिया, बटियागढ़, हटा, जबेरा, पटेरा और तेंदूखेड़ा क्षेत्र के अनेक गांवों में ठेकेदारों द्वारा आसपास जमकर उत्खनन किया गया है और काम होने के बाद इन गड्ढों को खुला छोड़कर चले गए। जिसके दुष्परिणाम भी इन गांवों में सामने आए हैं। बीते 5 सालों में करीब 2 दर्जन से अधिक बच्चों की जान इन खंतियों और तालाबों में हो चुकी है।
ऐसे मिलती है अनुमति
किसी किसान की एक एकड़ भूमि पर निजी तालाब बताकर, उसके गहरीकरण कराने के नाम पर और बाद में इसमें खुदी पड़ी हुई मुरम पड़े होने का आदेश तैयार कराते हुए मुरम परिवहन की अनुज्ञा जारी करा ली जाती है। इसके बाद पूरे क्षेत्र को 200 फीट से अधिक गहरा खोद दिया जाता है। ऐसे में तीनों तरफ खेत और बीच में बड़ा गहरा गड्ढा हो जाता है। यहां से मुरम उठने के बाद खेत मालिक और मुरम उठाने वाले व्यक्ति ने न तो यहां तालाब से रिलेटिव को सुरक्षा व्यवस्था की जाती है और न ही यहां बंधान आदि कराया जाता है।
तीन मामले: जिनमें मौत का कारण बनी खंतियां
मामला 1- देहात थाना क्षेत्र के मराहार में अवैध उत्खनन के बाद बने गड्ढे में डूबने से दो बच्चों की जान चली गई। जिसमें अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी।
मामला 2- पथरिया क्षेत्र के चिरौला गांव में अवैध उत्खनन कर बनाए गए गड्ढे में डूबने से चार साल पहले चार बच्चों की मौत हो गई थी। इस मामले में भी कोई खास कार्रवाई नहीं हुई थी।
मामला 3- लाडनबाग क्षेत्र में अवैध उत्खनन कर बने गड्ढे में डूबने से तीन बच्चों की मौत करीब 5 साल पहले हुई थी। इसमें भी कोई कार्रवाई नहीं।

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