आखिर कौन होते हैं ये फोर्थ अंपायर्स
क्रिकेट के हर प्रोफेशनल मैच में दो ऑन-फील्ड अंपायर, एक थर्ड अंपायर (जो टीवी रीप्ले का सहारा लेकर निर्णय देता है) और एक फोर्थ अंपायर होते हैं। आईपीएल जैसे बड़े टूर्नामेंट में, जहाँ हर बॉल, हर डिसीजन पर करोड़ों फैंस की निगाहें होती हैं, वहाँ फोर्थ अंपायर की भूमिका और भी ज्यादा अहम हो जाती है। चौथे अंपायर का मुख्य काम फील्ड पर या ऑफ-फील्ड फैसलों और प्रक्रियाओं में सहायक बनना, ताकि खेल बिना किसी रुकावट के आगे बढ़ सके।
आईपीएल में फोर्थ अंपायर की भूमिका
चौथे अंपायर का सबसे अहम काम बॉल को संभालना होता है। यदि खेल में बॉल खो जाती है, खराब हो जाती है या गीली हो जाती है, तो फोर्थ अंपायर नई या उपयुक्त बॉल लेकर आते हैं। इसके अलावा अगर किसी खिलाड़ी को हेलमेट, पैड, बैट या अन्य किसी गियर की आवश्यकता होती है, या ऑन-फील्ड अंपायरों को कुछ भी चाहिए, तो चौथा अंपायर वह चीज़ें तुरंत उपलब्ध कराते हैं। टीम के डगआउट में अनुशासन बनाए रखने में फोर्थ अंपायर की भूमिका अहम होती है। वे सुनिश्चित करते हैं कि नियमों का उल्लंघन न हो, कोई गलत गतिविधि न हो। अगर मौसम खराब होता है तो फोर्थ अंपायर, ऑन-फील्ड अंपायर्स और मैच रेफरी के साथ मिलकर सही निर्णय लेने में सहायता करते हैं। अगर कोई खिलाड़ी चोट के कारण बाहर जाता है या सब्स्टीट्यूट मैदान पर आता है, तो इसकी अनुमति फोर्थ अंपायर से ही ली जाती है। अगर किसी ऑन-फील्ड अंपायर को चोट लगती है या वह अस्वस्थ हो जाता है, तो फोर्थ अंपायर उसकी जगह मैदान में उतरते हैं।
आईपीएल में फोर्थ अंपायर की सैलरी
आईपीएल अंपायर्स की सैलरी कई फैक्टर्स पर निर्भर करती है — जैसे कि उनका अनुभव, उनका इंटरनेशनल स्टेटस और कितने मैचों में ड्यूटी कर रहे हैं। फोर्थ अंपायर्स की सैलरी 2 लाख रुपए प्रति मैच होती है। हालांकि इंटरनेशनल मैच में यह आंकड़ा घट जाता है और मैच फीस 40 से 60 हजार रुपए हो जाती है।