महादेव और विष्णु भगवान एक साथ
मंदिर के महंत शिवगिरी ने बताया कि संगम महादेव में भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग के पीछे दीवार में भगवान विष्णु की मूर्ति बनी हुई है। चित्तौड़ में यह संभवतया पहला मंदिर हैं जहां पर भोलेनाथ के साथ भगवान विष्णु की प्रतिमा है। मंदिर परिसर में निर्माणाधीन मंदिर में भोलेनाथ के शिवलिंग के पीछे मां पार्वती की प्रतिमा है। यह भी मौर्यकाल की बताई जाती है। मंदिर परिसर में भगवान गणेश सहित कई भगवान की पत्थर की मूर्तियां रखी हुई है, जिन्हें देखने से ऐसा प्रतीत होता है कि यह सैकडों वर्ष पुरानी है।
संगम में होता अस्थियों का विसर्जन
भोईखेड़ा में गंभीर नदी और बेड़च नदी का संगम होता है। गंभीरी नदी की विशेषता है कि यह उत्तर दिशा में ही बहती है। दोनों नदियों का संगम होने के कारण यहां पर मनुष्य के मरने के बाद अस्थि विसर्जन आदि का कार्य किया जाता है। इसके लिए नदी के किनारे पर घाट बने हुए हैं। यहां पर पूरे जिले से लोग आते हैं।
80 गांवों का था पहले मंदिर
संगम महादेव मंदिर में पूरे सावन श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। शिवरात्रि पर मेले का आयोजन भी किया जाता है। पहले इसे 80 गांवों का मंदिर कहा जाता था। लेकिन समय के साथ मान्यता के चलते अब पूरे मेवाड़ से लोग यहां पर दर्शन के लिए आते हैं। यहां पर मन्नत पूरी होने पर प्रसादी आदि भी की जाती है।
मंदिर परिसर में कई संतों की समाधि
मंदिर परिसर में कई संतों की समाधि बनी हुई है। मंदिर के महंत शिवगिरी ने बताया कि मंदिर की सेवा पूजा कार्य पीढ़ी दर पीढ़ी किया जा रहा है। पिछले कई वर्षो से वह सेवा पूजा और मंदिर की देखरेख कर रहे हैं। अब उनके चाचा का लडक़ा भी पूजा पाठ में सहयोग करता है।