पाकिस्तान के व्यापारिक व्यवहार और नीतियों पर दबाव बनाया
डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान पर करीब 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया था। इस टैरिफ का उद्देश्य पाकिस्तान के व्यापारिक व्यवहार और नीतियों पर दबाव बनाना था, खासकर उस समय जब दोनों देशों के बीच आर्थिक और कूटनीतिक तनाव बढ़ रहा था। यह टैरिफ अमेरिका की ओर से पाकिस्तान के खिलाफ व्यापार असंतुलन और अन्य राजनीतिक मुद्दों के चलते लगाया।
ट्रंप ने 2919 के कार्यकाल में भारत पर टैरिफ लगाने के लिए क्या कहा ?
2019 में टैरिफ नीति का ऐलान: डोनाल्ड ट्रंप ने 2019 में भारत पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने की धमकी दी, यह कहते हुए कि भारत अमेरिकी उत्पादों पर “अत्यधिक” शुल्क लगाता है और व्यापार असंतुलन को सुधारने के लिए कार्रवाई करेगा। टैरिफ का कारण: ट्रंप ने कहा कि भारत के व्यापार प्रथाओं से अमेरिका को नुकसान हो रहा है, विशेषकर स्टील और एल्यूमिनियम पर शुल्क बढ़ाने का कारण यही था। टैरिफ में वृद्धि: 2019 के अंत तक, अमेरिका ने भारत से आयातित कई उत्पादों पर 10-25% तक अतिरिक्त टैरिफ लागू किया।
डोनाल्ड ट्रंप ने 2025 में भारत पर टैरिफ लगाने के क्या कारण बताए ?
व्यापार असंतुलन: ट्रंप का कहना था कि भारत अमेरिका से अधिक आयात करता है, जिससे अमेरिका को व्यापार में भारी घाटा होता है। इस असंतुलन को सुधारने के लिए टैरिफ लगाए गए। अत्यधिक टैरिफ और शुल्क: उन्होंने कहा कि भारत अपने घरेलू उद्योगों की रक्षा के लिए अमेरिकी उत्पादों पर बहुत अधिक टैरिफ और अन्य शुल्क लगाता है, जो अमेरिकी कंपनियों के लिए असमान अवसर पैदा करता है।
रूसी तेल खरीद: भारत की ओर से रूस से तेल खरीदने और सैन्य उपकरणों की खरीद को लेकर ट्रंप ने असंतोष जताया, जिससे अमेरिका ने आर्थिक दबाव बढ़ाया। व्यापार समझौते की कमी: ट्रंप ने यह भी कहा कि भारत के साथ कोई व्यापक और संतुलित व्यापार समझौता नहीं हुआ है, इसलिए उन्होंने टैरिफ को एक दबाव के रूप में इस्तेमाल किया।
राष्ट्रीय सुरक्षा: उन्होंने यह भी तर्क दिया कि टैरिफ से अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा को बेहतर बनाया जा सकता है, खासकर उन वस्तुओं पर जो सुरक्षा से जुड़ी हैं।
भारत की ओर से विदेश मंत्री और विदेश सचिव के बयान
विदेश मंत्री का रुख: भारत के विदेश मंत्री ने ट्रंप की टैरिफ नीति को “अनुचित और एकतरफा” बताते हुए कहा कि भारत मुक्त व्यापार का समर्थक है और अपने हितों की रक्षा करेगा। विदेश सचिव की प्रतिक्रिया: विदेश सचिव ने भी कहा कि भारत किसी भी दबाव में नहीं आएगा और विश्व व्यापार संगठन (WTO) के माध्यम से अपने अधिकारों की रक्षा करेगा। व्यापारिक सुधार: भारत ने अपने घरेलू बाजार को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए और दूसरे व्यापारिक साझेदारों के साथ सहयोग बढ़ाया।
पाकिस्तान ने डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ पर क्या किया ?
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया: पाकिस्तान ने अमेरिकी टैरिफ को स्वीकार करते हुए कहा कि वह अमेरिका के साथ बेहतर संबंध बनाने के लिए सहमत है और अमेरिकी नीतियों के अनुरूप कदम उठाएगा। आर्थिक दबाव: पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था कमजोर होने के कारण उसने अमेरिकी मांगों को मान लिया, जिससे उसे आर्थिक सहायता और समर्थन मिलने की उम्मीद बनी। सरेंडर की तरह रुख: कई विशेषज्ञों ने पाकिस्तान की इस सहमति को ‘सरेंडर’ की संज्ञा दी है, क्योंकि यह भारत की तुलना में ज्यादा झुकने वाला रुख था।
भारत और पाकिस्तान में क्या फर्क दिखा ?
भारत ने टैरिफ के खिलाफ WTO सहित सभी कानूनी रास्ते अपनाए और अपनी राष्ट्रीय संप्रभुता और व्यापार हितों के लिए मजबूती से लड़ाई जारी रखी। पाकिस्तान ने अमेरिका के दबाव में आकर टैरिफ को स्वीकार किया और अपनी नीतियों को अमेरिकी हितों के अनुरूप ढालने लगा। भारत की कूटनीति मजबूत रही, वहीं पाकिस्तान ने ज्यादा रियायतें दी।
भारत ने मजबूती दिखाई, पाकिस्तान ने झुकने वाला रुख अपनाया
बहरहाल डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ ने दक्षिण एशिया में आर्थिक और राजनीतिक तनाव बढ़ावा दिया है। भारत ने अपनी आर्थिक संप्रभुता की रक्षा करते हुए मजबूती दिखाई है, जबकि पाकिस्तान ने अमेरिकी दबाव में आकर झुकने वाला रुख अपनाया। इसने दोनों देशों की अंतरराष्ट्रीय छवि और व्यापारिक नीतियों पर गहरा असर नजर आया।