क्यों बढ़ी मांग?
खुद का डिजाइन: प्लॉट खरीदने वाले अपनी मर्जी, बजट और जरूरत के हिसाब से सपनों का घर डिजाइन कर सकते हैं। तय कर सकते हैं कि घर कैसा दिखेगा, उसका नक्शा कैसा होगा और उसमें क्या-क्या सुविधाएं होंगी। तुरंत कोई खर्च नहीं: जब तक आप प्लॉट पर घर बनाना शुरू नहीं करते, तब तक आपको कोई रखरखाव का पैसा नहीं देना पड़ता। जबकि बने-बनाए घरों या फ्लैट्स में खरीदते ही रखरखाव का खर्च शुरू हो जाता है।
भरोसा और पारदर्शिताः रेरा कानून आने के बाद प्लॉट खरीदने में धोखाधडी की गुंजाइश कम हो गई है। अच्छे बिल्डरों की ओर से बेचे गए रेरा-मंजूर प्लॉटों में खरीदने वालों को जमीन के कागजात पर भरोसा रहता है।
कौन खरीद रहे?
उच्च आय वर्ग और महत्वाकांक्षी खरीदार, जो अपनी जीवनशैली के अनुरूप घर बनाना चाहते हैं, वे प्लॉटेड लेआउट को प्राथमिक निवेश विकल्प के रूप में देख रहे हैं। नौकरीपेशा लोग, दूसरे घर की चाह रखने वाले परिवार और एनआरआइ (विदेश में रहने वाले भारतीय) भी जमीन खरीद रहे हैं। उन्हें यह एक लंबे समय का अच्छा निवेश लग रहा है।
डेवलपर्स भी बढ़ा रहे हिस्सेदारी
खरीदारों की बढ़ती दिलचस्पी को देखते हुए बिल्डर भी अब प्लॉट वाले प्रोजेक्ट्स पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। डेवलपर्स टियर-2 और टियर-3 शहरों में अधिक प्लॉटेड डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स लॉन्च कर रहे हैं, जहां जमीन की उपलब्धता अधिक और कीमतें अपेक्षाकृत कम हैं। वे ऐसी जगहों को ‘ब्रांडेड प्लॉटेड टाउनशिप’ के नाम से बेच रहे हैं। इन जगहों पर सड़कें, पानी, बिजली, नाली, सुरक्षा और क्लब हाउस, पार्क जैसी आधुनिक सुविधाएं होती हैं। बिल्डरों के लिए भी यह फायदेमंद है। प्लॉट वाली योजनाएं जल्दी पूरी हो जाती हैं, जिससे बिल्डरों को जल्दी पैसा मिल जाता है। इस क्षेत्र में भरोसा बढ़ने से बड़े और छोटे दोनों तरह के निवेशक पैसा लगा रहे हैं, बिल्डरों के लिए पैसा जुटाना आसान हो गया है।
इन जगहों पर कितनी जमीन खरीदी गई?
2024-25 की आखिरी तिमाही में बिल्डर्स ने 944 एकड़ जमीन खरीदी, जिसमें से 20% सिर्फ प्लॉट के लिए थी। वहीं, वर्ष 2024 में 2300 एकड़ से ज्यादा जमीन खरीदी गई, जिसमें से 38% प्लॉटिंग प्रोजेक्ट्स के लिए थी।
कुछ चुनौतियां भी हैं
जमीन की बढ़ती कीमतें, नियामक बाधाएं और कुछ क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास में देरी खरीदारों के लिए जोखिम पैदा कर सकती हैं।