रामगढ़ विषधारी व मुकुन्दरा टाइगर रिजर्व में टाइगर सफारी के नाम पर ऐसे जोन में भेजा जा रहा है जहां नीलगाय के अलावा कोई वन्यजीव नजर नहीं आता। कोई भी पर्यटक महंगा टिकट खरीदकर जंगल में बाघ बघेरे देखने की चाहत में जाता है, लेकिन उसे निराशा हाथ लगती है। जंगल सफारी के रूट भी वन विभाग ने मनमर्जी के तय कर रखे हैं जो पर्यटकों के लिए जोखिमभरे व वन्यजीवों से विहीन है।
रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में इस समय 9 जिप्सियां टाइगर सफारी के लिए अधिकृत की गई है, लेकिन अधिकांश साल भर से घरों के बाहर खड़ी होकर धूल खा रही है। जंगल में टाइगर सफारी शुरू होने से अच्छे रोजगार की उम्मीद में लोगों ने जिप्सियां खरीद कर टाइगर रिजर्व में लगाई थी।
रामगढ़ विषधारी व मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व में टाइगर सफारी नियमों के अनुसार शुरू नहीं हो सकी है। टाइगर सफारी में हर जिप्सी व केंटर के साथ एक नेचर गाइड का जंगल में साथ जाना अनिवार्य है, लेकिन दोनों टाइगर रिजर्व में अभी तक नेचर गाइड की भर्ती प्रक्रिया कागजों में सिमट कर रह गई है। करीब आठ माह पहले वन विभाग ने दोनों टाइगर रिजर्व में नेचर गाइड की भर्ती में लिए आवेदन लिए थे, लेकिन अभी तक एक भी नेचर गाइड को नियुक्ति नहीं दी है। बिना नेचर गाइड ही नियम विरुद्ध जिप्सियों से पर्यटकों को टाइगर सफारी के नाम पर जंगल में भेजा जा रहा है।
अरबिन्द झा, उप वन संरक्षक, रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व