बसों में पैनिक बटन दबाने का मैसेज जरूर मिलता है। कभी कभार यात्री दूसरी सवारी के लिए बस को रूकाने, फिर बच्चे मस्ती के दौरान या फिर यात्री मोबाइल चार्ज समझने के दौरान बटन दबा देते है। अभी तक तो जिले में महिला संबंधित किसी प्रकार की घटना पर पैनिक बटन दबाने जैसी कोई जानकारी नहीं मिलने का निगम दावा कर रहा है। उनका कहना है कि फिर भी किसी तरह पैनिक बटन दबाने का सिग्नल मिलने पर तुरंत मदद के लिए पहुंचते है।
यूं तो सरकार महिला सुरक्षा को लेकर कई दावे करता है,लेकिन रोडवेज प्रशासन के यह दावे खोखले नजर आ रहे है। क्या किसी तरह के हादसे के बाद ही निगम चेतेगा। निगम के अधिकारियों ने कई बार शेष बसों में पैनिक बटन लगाने एवं खराब पड़े बसों में दुरुरूत कराने के लिए पत्र लिख दिए है, लेकिन अभी तक मुख्यालय की नींद नहीं खुली है।
निर्भया कांड के बाद राजस्थान रोडवेज बसों में महिलाओं की सुरक्षा के लिए पैनिक बटन लगाए गए थे।
इसमें यात्री किसी तरह की परेशानी होने पर बटन दबाकर मदद मांग सकता है।
पैनिक बटन को तीन सैकंड तक दबाते ही अलर्ट कंट्रोल रूम तक जाएगा।
डिपो मुख्य प्रबंधक और प्रबंधक संचालन के मोबाइल पर भी अलर्ट मैसेज जाएगा।
प्रबंधक संचालन चालक-परिचालक की लोकेशन के बारे में जानकारी लेंगे।
प्रबंधक संचालन रूट पर जाने से पहले अनिवार्य रूप से जांच करेंगे।
पैनिक बटन से जुड़े एप पर संबंधित बस के एक्टिव होने की जांच करेंगे।
अलर्ट नोटिफिकेशन मिलने पर डिपो मैनेजर चालक-परिचालक से तुंरत बात करेंगे।
पैनिक बटन दबाते ही अलर्ट मैसेज मुख्यालय और संबंधित डिपो प्रबंधक के पास पहुंचेगा।
बूंदी आगार की 56 बसों में से सिर्फ 15 बसों में ही पैनिक बटन काम कर रहा है। जबकि लगे हुए 27 बसों में है। 12 बसों में पैनिक बटन लगा होने के बाद भी काम नहीं कर रहा है। अन्य बसों में पैनिक बटन लगाने के लिए मुख्यालय में पत्र लिखा गया है। हालांकि जिन बसों में बटन काम नहीं कर रहा है, तो उसके दुरूस्त के लिए भी बोला गया है।
कृष्ण कुमार पांचाल, प्रबंधन संचालन, बूंदी आगार