पाकिस्तान की मदद पर भारत की आपत्ति
भारत ने आईएमएफ में सक्रिय और जिम्मेदार सदस्य देश के तौर पर अपनी चिंताओं को स्पष्ट रूप से रखा। पीआईबी के बयान के अनुसार, भारत ने कहा कि पाकिस्तान का आईएमएफ प्रोग्राम में प्रदर्शन बेहद खराब रहा है और इस बात की आशंका है कि कर्ज के रूप में मिलने वाली राशि का उपयोग राज्य प्रायोजित सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने में किया जा सकता है। भारत ने आईएमएफ प्रोग्राम की प्रभावशीलता और निगरानी पर सवाल उठाते हुए कहा कि पाकिस्तान को 1989 से पिछले 35 सालों में 28 बार आईएमएफ से कर्ज लेना पड़ा है। बीते 5 सालों में 4 प्रोग्राम लागू होने के बावजूद, पाकिस्तान की आर्थिक नीतियां स्थिर नहीं हो पाई हैं, जिसके चलते उसे बार-बार बेलआउट की जरूरत पड़ रही है।
आतंकवाद के लिए फंडिंग का खतरा
भारत ने अपनी चिंता को और गहराई से रखते हुए कहा कि पाकिस्तान की सेना का देश के आर्थिक मामलों में गहरा हस्तक्षेप है, जो सुधारों को लागू करने में बड़ी बाधा है। 2021 के एक संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट का हवाला देते हुए भारत ने बताया कि पाकिस्तानी सेना से जुड़े व्यवसायों को “सबसे बड़ा समूह” करार दिया गया था। इस स्थिति में बदलाव नहीं आया है, बल्कि सेना अब स्पेशल इन्वेस्टमेंट फैसिलिटेशन काउंसिल में अग्रणी भूमिका निभा रही है। भारत ने साफ किया कि इस तरह की व्यवस्था में आईएमएफ की मदद का उपयोग आतंकवाद को बढ़ावा देने में हो सकता है, जो वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए खतरा है।
आईएमएफ की रिपोर्ट में भी चिंता
आईएमएफ की हालिया रिपोर्ट, Evaluation of Prolonged Use of IMF Resources, में भी पाकिस्तान के प्रदर्शन पर सवाल उठाए गए हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि पाकिस्तान में यह धारणा व्यापक है कि राजनीतिक विचार आईएमएफ की मदद में अहम भूमिका निभाते हैं। बार-बार बेलआउट के बावजूद पाकिस्तान का कर्ज बोझ कम नहीं हो रहा है, जो उसे “टू बिग टू फेल” डेटर बनाता है। भारत ने इस बात पर जोर दिया कि आईएमएफ को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उसकी मदद का उपयोग सही दिशा में हो और इसका लाभ आतंकवाद को प्रायोजित करने में न हो।
वैश्विक समुदाय के लिए भारत की अपील
भारत ने वैश्विक समुदाय से अपील की कि वह आईएमएफ जैसे संस्थानों के जरिए दी जाने वाली मदद पर कड़ी नजर रखे। भारत ने कहा कि सीमा पार आतंकवाद को लगातार समर्थन देने वाला देश वैश्विक मूल्यों का मखौल उड़ा रहा है। भारत ने सुझाव दिया कि आईएमएफ को अपनी प्रक्रियाओं में नैतिक मूल्यों को प्राथमिकता देनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उसकी मदद का उपयोग सही दिशा में हो।
पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति
पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति लगातार बदतर होती जा रही है। बार-बार कर्ज लेने के बावजूद उसकी अर्थव्यवस्था पटरी पर नहीं आ रही है। भारत का यह कदम पाकिस्तान के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है, क्योंकि आईएमएफ की मदद उसके लिए आखिरी सहारा है। यदि आईएमएफ भारत की चिंताओं को गंभीरता से लेता है, तो पाकिस्तान को दी जाने वाली वित्तीय मदद पर रोक लग सकती है या इसकी शर्तें और सख्त हो सकती हैं।