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बुलंदशहर

ब्रिटिश हुकूमत की आंखों में खटकते थे विजय सिंह पथिक; किसानों के लिए उठाई थी आवाज

Vijay Singh Pathik: जानिए कौन थे विजय सिंह पथिक जिन्होंने किसानों के लिए आवाज उठाई थी। 80 से भी ज्यादा प्रकार के कर किसानों से रजवाड़ों के द्वारा वसूले जाते थे।

बुलंदशहरAug 06, 2025 / 05:10 pm

Harshul Mehra

vijay sing pathik

विजय सिंह पथिक के बारे में। फोटो सोर्स-फेसबुक

Vijay Singh Pathik: स्वतंत्रता दिवस यानी 15 अगस्त में अब कुछ ही दिन बचे हैं। आपको बताते हैं ब्रिटिश हुकूमत की आंखों में खटकने वाले विजय सिंह पथिक के बारे में जिन्होंने किसानों के लिए आवाज उठाई थी।

ब्रिटिश उपनिवेशवाद के खिलाफ संघर्ष

अपनी आजादी की जद्दोजहद में भारत ने कई सदी बिताई है। भारत के वीर विजय सिंह पथिक ने ब्रिटिश उपनिवेशवाद के खिलाफ संघर्ष किया। साथ ही राजस्थान के स्थानीय राजवाड़ों द्वारा किसानों पर थोपे जाने वाले अत्याचारों और भारी करों के खिलाफ भी जन-आंदोलन की आवाज बुलंद की।

किसानों के हितों के लिए आंदोलन छेड़ा

विजय सिंह पथिक ने राजस्थान के बिजौलिया इलाके में किसानों के हितों के लिए आंदोलन छेड़ा। साथ ही उन्होंने स्थानीय राजवाड़ों द्वारा थोपे जाने वाले अत्यधिक कर और अन्य अन्यायपूर्ण नीतियों के खिलाफ लोगों को एकजुट किया। बताया जाता है कि 80 से भी ज्यादा प्रकार के कर किसानों से रजवाड़ों के द्वारा वसूले जाते थे।

निडरता से रखते थे जनता का पक्ष

विजय सिंह पथिक का जन्म 27 फरवरी 1882 में क्रान्तिकारी परिवार में हुआ था। उनका परिवार बुलन्दशहर जिले के गांव गुठावली कलां में रहता था। बुलन्दशहर में मालागढ़ रियासत में दीवान के पद पर उनके दादा इन्द्र सिंह थे। आम जनता जिन सवालों को अंग्रेजी हुकूमत के खौफ के आगे पूछने में डरती थी, वह निडरता से जनता का पक्ष रखते थे।

अंग्रेजी हुकूमत के थे गहरे आलोचक

बचपन में लोग विजय सिंह को भूप सिंह के नाम से पुकारते थे। 1857 की क्रांति में योगदान देने के लिए पिता हमीर सिंह गुर्जर को ब्रिटिश हुकूमत ने गिरफ्तार कर लिया था। इससे उनकी मां कमल कुमारी पर बुरा असर पड़ा। अंग्रेजी हुकूमत के गहरे आलोचक विजय सिंह पथिक थे।
 विजय सिंह पथिक के बारे में- फोटो सोर्स- फेसबुक
देश में आजादी की वकालत की हिमाकत विजय सिंह पथिक ने की। इस दौरान वह शचींद्र नाथ सान्याल और रास बिहारी बोस जैसे क्रान्तिकारियों से जुड़ गए। 1915 में फिरोजपुर षडयन्त्र की घटना के बाद इन्होंने अपना असली नाम बदल कर विजय सिंह पथिक रख लिया था। ना केवल भारत बल्कि इंग्लैंड की भी ब्रिटिश हुकूमत की आंखों में विजय सिंह पथिक खटकते थे। 29 मई सन् 1954 को विजय सिंह पथिक चिर निद्रा में लीन हो गए।

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