फिल्म ‘गहराई’ के लिए तंत्र-मंत्र के जाल में फंस गई
अरुणा राजे ने एक इंटरव्यू में बताया कि कैसे उन्हें इस फिल्म का आइडिया आया, इस पर उन्होंने कहा, “जब मैं बैंगलोर में अपने परिवार के साथ रहती थी, तब मेरी मां को हर दिन बगीचे में कुछ न कुछ मिलता था। कोई छोटा नींबू जिस पर हल्दी या कुमकुम लगा हो। लोग काला जादू करते थे – खासकर राजनीति में।” उन्होंने बताया कि उनके पिता एक स्वतंत्रता सेनानी थे जो बाद में राजनेता बन गए। “इसलिए हमारे बगीचे में ये सब चीजें मिलना कोई बड़ी बात नहीं थी।” इसके साथ ही अरुणा राजे ने आगे कहा, “जब मुझे कुछ बनाने का मौका मिला, तो मैंने सोचा क्यों न हम काला जादू से जुड़ी कोई चीज बनाएं। फिर हमने रिसर्च करना शुरू कर दिया। दिलचस्प बात ये है कि विजय तेंदुलकर इस स्क्रिप्ट पर हमारे साथ थे। तो हम तीन लोग स्क्रिप्ट लिख रहे थे, हमने बहुत से लोगों के इंटरव्यू लिया और हमें बहुत ही दिलचस्प कहानियां मिलीं।”
45 साल बाद किया खुलासा
अरुणा का इस पर कहना था कि फिल्म में पद्मिनी कोल्हापुरे द्वारा निभाया गया किरदार एक ऐसी कहानी से प्रेरित था जो उन्हें रिसर्च के दौरान बताई गई थी। साथ ही हमें एक ऐसा व्यक्ति मिला जिस पर वास्तव में एक अजीब चरित्र का साया था। जिस व्यक्ति पर भूत का साया था, वह कैथोलिक था, और जिस व्यक्ति ने उस पर साया करवाया था, वो लखनऊ की कोई मुस्लिम लड़की थी। हम हैरान थे जब लड़की के ऊपर साया होता था, तो वह शानदार उर्दू बोलती थी। वो शेरो-शायरी करती थी। इन कहानियों को सुनना बहुत ही प्रेरणादायक था, जो दिखाती हैं कि ऐसी चीजें वास्तव में हो रही हैं।
तांत्रिकों और मंत्रिकों के लिए मदद और संपर्क
बता दें कि फिल्म के रिलीज होने के कुछ साल बाद ही अरुणा का अपने पति से तलाक हो गया। उन्होंने अपनी नौ साल की बेटी को कैंसर से खो दिया। फिल्म की रिलीज के बाद की घटनाओं को याद करते हुए अरुणा ने कहा, “लोग डर गए थे, फिल्म रिलीज होने के बाद हमें सैकड़ों कॉल आए – लोग कह रहे थे कि ये समस्या हो रही है, वे तांत्रिकों और मंत्रिकों के लिए मदद और कांटेक्ट नंबर मांगते थे, लेकिन हम वो नहीं कर सकते थे। हम उन्हें फोन नंबर नहीं दे सकते थे, हमें नहीं पता था कि तांत्रिकों के मामले में कौन नकली है और कौन असली।” दरअसल, इस फिल्म में अनंत नाग, अभिनेता अमरीश पुरी, पद्मिनी कोल्हापुरे, श्रीराम लागू और इंद्राणी मुखर्जी ने मुख्य भूमिकाएं निभाई थी।