मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने पाया कि ब्यूटी पार्लर संचालिका ने नान के पूर्व मैनेजर की अवैध कमाई को निवेश करने का षड्यंत्र किया है। नान में घोटाला सामने आने के बाद एंटी करप्शन ब्यूरो और ईओडब्ल्यू ने नान के मुख्यालय समेत कई अधिकारियों के ठिकानों पर छापेमारी की थी। इस दौरान पूर्व मैनेजर शिवशंकर भट्ट के आवास सहित अन्य ठिकानों पर भी दबिश दी। ईओडब्ल्यू की जांच में सामने आया कि भट्ट ने 3.89 करोड़ की अवैध संपत्ति जुटाई थी, जो उसकी वास्तविक आय से कई गुना अधिक थी।
जांच में सामने आई गड़बड़ी ईओडब्ल्यू को जांच में पता चला कि पूर्व मैनेजर शिवशंकर भट्ट की महिला मित्र मधुरिमा शुक्ला ब्यूटी पार्लर चलाती है। उसने उसकी अवैध कमाई को निवेश किया। इसलिए उसे भी सहआरोपी बनाया गया। जांच में एसीबी ने मधुरिमा से 1.60 करोड़ की संपत्ति जब्त की है। जबकि उसकी आय मात्र 24 लाख रुपए थी। चार्जशीट प्रस्तुत होने के बाद स्पेशल कोर्ट ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1)(ई), 13(2) और आईपीसी की धारा 120-बी के तहत आरोप तय किए। इसके खिलाफ मधुरिमा ने आपराधिक पुनरीक्षण याचिका दायर की।
दस्तावेजों के परीक्षण में मिली अवैध संपत्ति हाईकोर्ट में दायर अपनी याचिका में महिला ने बताया कि उसे सुनियोजित तरीके से फंसाया गया है। उसके खिलाफ लगाए गए आरोप पूरी तरह तथ्यहीन हैं। उसने ब्यूटी पार्लर के व्यवसाय से संपत्ति जुटाई है। उसने कोई अवैध काम या किसी के पैसे निवेश नहीं किए। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने एसीबी के दस्तावेजों का परीक्षण कराने के बाद पाया कि मधुरिमा के पास 1.60 करोड़ रुपए की संपत्ति मिली। जबकि उसकी कुल वैध आय सिर्फ 24.74 लाख थी।