राज्य के मुख्य सचिव और विमानन विभाग के शपथ पत्र से असंतुष्ट हाईकोर्ट ने कहा कि हमारा समय बर्बाद करना बंद कीजिए। एयरपोर्ट बनाना नहीं बनाना आपके हाथ में है जो मन में आए करें। उल्लेखनीय है कि मुख्य सचिव और विमानन विभाग के डिप्टी डायरेक्टर के शपथ पत्र में सेना से जमीन की वापसी और 4 सी एयरपोर्ट की डीपीआर बनाने पर कोई भी समयबद्ध कार्यक्रम नहीं दिया गया।
याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता आशीष श्रीवास्तव और सुदीप श्रीवास्तव ने खंडपीठ को बताया कि 4सी एयरपोर्ट की डीपीआर बनाने का निर्णय पहले ही हो चुका है और जिस प्रीफिजिबिलिटी स्टडी की बात की जा रही है वह भी 2 वर्ष पूर्व एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया द्वारा की जा चुकी है। जहां तक जमीन की वापसी का सवाल है 93 करोड़ रुपए का बजट आवंटन 2023 में किया गया था और राशि दे दी गई थी। परंतु प्रति एकड़ दर में वृद्धि की मांग के कारण रक्षा मंत्रालय ने उस समय चेक का भुगतान नहीं कराया और फिर बाद में 287 एकड़ की जमीन के लिए 70 करोड रुपए की मांग की। यह मसला 2 साल से लंबित है।
शासन चाहती है तो एयरपोर्ट बंद कर लोगों को रायपुर भेजिए
बिलासपुर एयरपोर्ट को 4सी श्रेणी में अपग्रेड करने को लेकर राज्य सरकार की ढुलमुल नीति पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की खंडपीठ ने सख्त नाराज़गी जताई। अतिरिक्त महाधिवक्ता शशांक ठाकुर और यशवंत सिंह ठाकुर के जवाबों से असंतुष्ट कोर्ट ने पूछा कि क्या सरकार इसे 10 या 20 साल में पूरा करेगी? कोर्ट ने टिप्पणी की कि यदि सरकार एयरपोर्ट बंद ही करना चाहती है तो खुलकर बताए, न कि जनता को भ्रम में रखे। लोगों को कह दिया जाए कि आप रायपुर जाइए और वहां से हवाई यात्रा करिए, इस तरह से सभी को भ्रम में रखना उचित नहीं लगता। अगर यही रवैया है तो सुनवाई का अर्थ नहीं: हाईकोर्ट
डिवीजन बेंच ने इस बात पर गहरी आपत्ति की कि स्वयं राज्य सरकार 2021 से लगातार विभिन्न अवसरों पर इसे अपग्रेड करने के बारे में अपना कमिटमेंट देती रही है। इस सब के बावजूद काम की गति संतोषप्रद नहीं है। इससे यह संदेश जाता है कि राज्य सरकार की मंशा बिलासपुर में 4 सी एयरपोर्ट बनाने की नहीं है और वह केवल लोगों को भ्रम में रखकर समय काट रही है। क्योंकि इस मामले की मॉनिटरिंग
हाईकोर्ट के द्वारा की जा रही है, अत: कार्य न होने पर यह एक तरह से कोर्ट का समय बर्बाद करना है। और अगर यही रवैया है तो हाईकोर्ट इस मसले पर आगे कोई सुनवाई करने के लिए इच्छुक नहीं है।
महाधिवक्ता ने जुलाई तक का समय मांगा
स्थिति को देखकर महाधिवक्ता प्रफुल्ल भारत ने आगे आकर कहा कि प्रीफिजिबिलिटी स्टडी की रिपोर्ट दो माह में हमें मिल जाएगी और हम जुलाई के महीने में बेहतर तरीके से इस मसले पर सभी प्रश्नों का उत्तर दे सकेंगे। इसके लिए कम से कम हमें जुलाई तक का समय दिया जाए।केंद्र सरकार की ओर से उपस्थित डिप्टी सॉलिसिटर जनरल रमाकांत मिश्रा ने कहा हमारी मांग के अनुरूप 80 करोड़ रुपए राज्य सरकार जमा कर दे तो हम 287 एकड़ जमीन विधिवत हैंड ओवर कर देंगे। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई जुलाई में करने का आदेश जारी किया।