याचिकाकर्ताओं की तरफ से बताया गया कि केन्द्र सरकार की ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण पॉलिसी के तहत पांच लाख रुपए तक की पेनाल्टी लगाए जाने का प्रावधान है। अभी एक या दो बार हजार-पांच सौ रुपए पेनाल्टी लगाकर छोड़ दिया जाता है। ना सामान की जब्ती होती है और ना ही कोई कड़े नियम बनाए गए हैं।
छत्तीसगढ़ में इसे अभी तक लागू नहीं किया गया है।
शोर प्रदूषण खत्म करने कड़े प्रावधान जरूरी
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि मौजूदा कानून में सख्ती नहीं है। केवल 500 से 1,000 रुपये का जुर्माना लगाकर मामला खत्म कर दिया जाता है। न तो उपकरण जब्त होते हैं और न ही कड़े नियम लागू किए जाते हैं। उन्होंने कहा कि जब तक कड़े प्रावधान नहीं होंगे, डीजे और साउंड बाक्स से होने वाला शोर प्रदूषण खत्म नहीं किया जा सकेगा। नियम में संशोधन होने के बाद 5 लाख रुपए तक की पेनाल्टी लगाई जा सकती है।
डीजे संचालकों ने भी लगाई हस्तक्षेप याचिका
इस जनहित याचिका के साथ-साथ डीजे संचालकों की ओर से भी हस्तक्षेप याचिका लगाई गई है। उनका कहना है कि कई बार पुलिस उनके खिलाफ एकतरफा कार्रवाई कर रही है, इसलिए नियम लागू होने से पहले स्पष्ट गाइडलाइन तय होनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि शासन पहले ही एक्ट लागू करने का वादा कर चुका है, अब और बहाने नहीं चलेगा। कोर्ट ने निर्देश दिया कि 3 सप्ताह में मसौदा तैयार कर रिपोर्ट पेश करें।