इस पर सुनवाई करते हुए
हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की बात को सही मानते हुए 10 वर्षों बाद वर्ष-2023 में उनके पक्ष में कुल 13 पन्नों का विस्तृत फैसला सुनाया था। इस फैसले को चुनौती देते हुए शासन ने वर्ष-2024 में हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच में अपील की थी। युगल पीठ ने 7 अक्टूबर 2024 को शासन की अपील खारिज कर दी।
हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच के फैसले को चुनौती देते हुए शासन ने मई-2025 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। सर्वोच्च न्यायालय ने भी विचारण-अयोग्य मानते हुए शासन की याचिका ख़ारिज कर दी। इसके बाद भी हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं होने पर फिर से अवमानना याचिका प्रस्तुत की गई। मामले की सुनवाई जस्टिस रविन्द्र कुमार अग्रवाल के कोर्ट में हुई। कोर्ट ने यह माना कि उत्तरवादियों की ओर से दोनों न्यायालयों के फैसलों की घोर-अवमानना की गई है।
इनको नोटिस और जमानती वारंट
कोर्ट ने गृह विभाग के अधिकारी आईएस अविनाश चंपावत, हिमशिखर गुप्ता, अमित कटारिया को 50-50 हजार रुपए का जमानती वारंट जारी किया गया है। वहीं जेल डीजी हिमांशु गुप्ता, प्रमुख सचिव मनोज पिंगुआ सहित पांचों अधिकारियों को अवमानना नोटिस जारी किया गया है। इन सभी अधिकारियों को 4 सितंबर को होने वाली सुनवाई में व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में उपस्थित रहने के आदेश दिए गए हैं।