पिछले दो माह से फरार
तोमर बंधुओं की पुलिस तलाश कर रही है। उन पर इनाम भी घोषित किया है। गिरफ्तारी से बचने के लिए तोमर बंधुओं ने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका लगाई है। याचिका में अपने खिलाफ की गई 7 एफआईआर को गलत बताया गया है। मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने रायपुर एसपी से पूछा है कि किस आधार पर एक साथ इस तरह के केस दर्ज किए गए हैं। कोर्ट ने उन्हें व्यक्तिगत शपथपत्र के साथ दो सप्ताह में जवाब प्रस्तुत करने कहा है।
Tomar Brothers: सूदखोरी-जबरदस्ती वसूली का केस
रायपुर के तेलीबांधा और पुरानीबस्ती थाने में सूदखोर वीरेंद्र तोमर व उसके भाई रोहित तोमर पर एक्सटार्शन और सूदखोरी का केस दर्ज किया गया है। मामले में जब पुलिस ने आरोपियों के घर पर दबिश दी, तब चेक और जमीनों के दस्तावेज मिले। साथ ही जांच मे यह पता चला कि मामला आर्गेनाइज क्राइम से जुड़ा हुआ है। पुलिस ने तोमर बंधुओं के खिलाफ अलग-अलग 7 एफआईआर दर्ज की हैं। इस कार्रवाई के दौरान वीरेंद्र तोमर और रोहित तोमर पुलिस की गिरफ्तारी के डर से फरार हो गए। पुलिस के अनुसार रोहित ने अपनी पत्नी भावना के नाम से यह ऑफिस खोला था, जहां से सूदखोरी का धंधा ऑपरेट करता था। दो माह से पुलिस उनकी तलाश कर रही है।
दबाव और दुर्भावनापूर्व कार्रवाई का आरोप
मंगलवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने पुलिस पर दबाब और दुर्भावनापूर्वक कार्रवाई करने का आरोप लगाया। याचिकाकर्ताओं की तरफ से कहा गया कि उन्हें सूदखोरी और आर्गेनाइज क्राइम जैसे केस में फंसाया गया है। मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने केस डायरी तलब की थी।