गौरतलब है कि वर्ष 2025 की 1 जनवरी को पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या की उनका शव एक सैप्टिक टैंक में छिपाकर रखा गया था। बताया जाता है कि
पत्रकार ने इसी सड़क परियोजना में गड़बड़ियों को उजागर किया था, जिसके बाद यह हत्याकांड हुआ। घटना ने पूरे प्रदेश में सनसनी फैला दी थी।
73 करोड़ की योजना पहुंची 188 करोड़ तक, फिर भी सड़क अधूरी
वर्ष 2010 में मंजूर हुई गंगालूर-मिरतूर सड़क परियोजना की प्रारंभिक लागत 73.8 करोड़ थी, जो वर्ष 2018 तक बढ़कर 188 करोड़ तक पहुंच गई। इसके बावजूद निर्माण कार्य में गंभीर तकनीकी खामियां उजागर हुईं। बिलिंग में भारी गड़बड़ी, फर्जी दस्तावेज़ और गुणवत्ता मानकों की अनदेखी की पुष्टि हुई है। बीजापुर पुलिस द्वारा गिरफ्तार पांच अधिकारी
- डी.आर. साहू (रिटायर्ड ईई )
- वी.के. चौहान (रिटायर्ड ईई )
- एच.एन. पात्र (तत्कालीन ईई )
- प्रमोद सिंह कंवर (एसडीओ, बीजापुर)
- संतोष दास (सब इंजीनियर)
पूर्व में इन अधिकारियों पर हुई कार्रवाई
- बी.एल. ध्रुव (तत्कालीन ईई )
- आर.के. सिन्हा (एसडीओ)
- जी.एस. कोडोपी (सब इंजीनियर)
निर्माण में भीषण अनियमितताएं
बीजापुर एसपी जितेंद्र यादव के अनुसार, गंगालूर से नेलसनार तक की सड़क के निर्माण में भीषण अनियमितताएं पाई गईं। जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर ठेकेदार सुरेश चंद्राकर को पूर्व में ही गिरफ्तार किया गया है। अब तक कुल आठ अधिकारियों-कर्मचारियों को जेल भेजा जा चुका है। शुरुआत में एक ठेकेदार और तीन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई हुई थी, अब पांच और गिरफ्तारी की गई है।