हजारेश्वर स्कूल का संचालन राज्य सरकार कर रही थी। इसके लिए शिक्षकों का भी संविलियन होना था, लेकिन लोक शिक्षण संस्थान ने इस संबंध में अभ्यावेदन पर कोई फैसला नहीं लिया। सन 2021 में कोर्ट ने शिक्षकों के पक्ष में फैसला दिया।
संविलियन पर शिक्षकों के पक्ष में स्पष्ट आदेश
संविलियन पर शिक्षकों के पक्ष में स्पष्ट आदेश पर भी अमल नहीं किया गया तो अवमानना दायर की गई। राज्य सरकार ने करीब 1304 दिन बाद रिट अपील दायर की जिसकी वजह से हाईकोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। पता चला कि संविलियन केस में जिस अफसर को निलंबित किया गया था, विलंब के कारण वह भी बहाल हो गया था। निर्धारित 90 दिन उन्हें आरोप पत्र ही नहीं दिया गया था। शिक्षकों के संविलियन के न्यायालयीन केस में ऐसी लापरवाही से शिक्षा विभाग की कार्यशैली सवालों के घेरे में आ गई है। एक ही मामले में बार बार विलंब करने पर कुछ विभागीय अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। लोक शिक्षण संचालनालय और शिक्षा विभाग के अधिकारी अब हाईकोर्ट के फैसले की आधिकारिक प्रति का इंतजार कर रहे हैं। इसके बाद मामले में अगला कदम उठाने की बात कही जा रही है।