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भोपाल

एमपी में शिक्षकों के संविलियन पर हाइकोर्ट का सख्त रुख, सरकार और शिक्षा विभाग हतप्रभ

MP Teachers- एमपी में शिक्षकों के संविलियन पर बड़ा अपडेट सामने आया है। इससे संबंधित एक केस में कोर्ट ने सख्त रुख दिखाया।

भोपालJul 31, 2025 / 07:54 pm

deepak deewan

High Court's strict stand on the merger of teachers in MP

High Court’s strict stand on the merger of teachers in MP

MP Teachers- एमपी में शिक्षकों के संविलियन पर बड़ा अपडेट सामने आया है। इससे संबंधित एक केस में कोर्ट ने सख्त रुख दिखाया। कोर्ट के इन तेवरों से सरकार, शिक्षा विभाग से लेकर लोक शिक्षण संचालनालय तक में हड़कंप मचा है। शिक्षकों के संविलियन का यह मामला श्योपुर के हजारेश्वर स्कूल का है जिसमें राज्य शासन की याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया। सरकार द्वारा करीब साढ़े तीन साल के विलंब से याचिका दायर की गई थी। कोर्ट ने इसपर सख्त टिप्पणी करते कहा कि इससे सरकार को हुई आर्थिक क्षति को जिम्मेदार अधिकारी से वसूला जाए। ग्वालियर हाईकोर्ट के इस निर्णय को गुरुवार को राजधानी भोपाल में असर देखा गया। शिक्षा विभाग और लोक शिक्षण संचालनालय में इस फैसले पर खासी चर्चा हुई। जिम्मेदार अधिकारी पर भी खूब चुटकियां ली गईं। कोर्ट की टिप्पणी से शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली की कलई खुल गई है। विभाग के आला अधिकारियों ने इसपर नाराजगी भी जताई है।
हजारेश्वर स्कूल का संचालन राज्य सरकार कर रही थी। इसके लिए शिक्षकों का भी संविलियन होना था, लेकिन लोक शिक्षण संस्थान ने इस संबंध में अभ्यावेदन पर कोई फैसला नहीं लिया। सन 2021 में कोर्ट ने शिक्षकों के पक्ष में फैसला दिया।

संविलियन पर शिक्षकों के पक्ष में स्पष्ट आदेश

संविलियन पर शिक्षकों के पक्ष में स्पष्ट आदेश पर भी अमल नहीं किया गया तो अवमानना दायर की गई। राज्य सरकार ने करीब 1304 दिन बाद रिट अपील दायर की जिसकी वजह से हाईकोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। पता चला कि संविलियन केस में जिस अफसर को निलंबित किया गया था, विलंब के कारण वह भी बहाल हो गया था। निर्धारित 90 दिन उन्हें आरोप पत्र ही नहीं दिया गया था।
शिक्षकों के संविलियन के न्यायालयीन केस में ऐसी लापरवाही से शिक्षा विभाग की कार्यशैली सवालों के घेरे में आ गई है। एक ही मामले में बार बार विलंब करने पर कुछ विभागीय अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। लोक शिक्षण संचालनालय और शिक्षा विभाग के अधिकारी अब हाईकोर्ट के फैसले की आधिकारिक प्रति का इंतजार कर रहे हैं। इसके बाद मामले में अगला कदम उठाने की बात कही जा रही है।

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