भोपाल से पायलट प्रोजेक्ट के तहत शुरू होने वाली यह व्यवस्था धीरे-धीरे प्रदेश के सभी जिलों में लागू करने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं। बता दें कि जिला पुलिस, ट्रैफिक पुलिस, रेलवे उड़न दस्ता सहित अन्य विभाग फील्ड कर्मचारियों को बॉडी वॉर्न कैमरे के साथ ही इस प्रकार की कार्रवाई पर तैनात कर रहे हैं। दावा है कि विवाद की स्थिति में रिकॉर्डिंग के आधार पर उचित निर्णय लिया जा सकेगा।
कैमरा लगाने का उद्देश्य
चैंकिंग पाइंट पर ड्यूटी से गायब रहने और वाहन चालकों के साथ मारपीट व बदसलूकी की शिकायतें सामने आती रहती हैं। ड्रायवरों की ओर से परिवहन अमले के साथ भी अभद्रता के मामले भी सामने आते रहते हैं।
क्या है बॉडी वार्न कैमरा
यह छोटा डिवाइस होता है। इसे वर्दी पर फिट किया जाता है। कैमरे में लैंस लगा होता है, जो चारों दिशाओं में घूम सकता है। क्षमता के अनुसार, इसमें डाटा 15 दिन तक स्टोर रह सकता है। इस कैमरे को जीपीएस (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) से कंट्रोल रूम से जोड़ा जा सकता है। ऐसे में कंट्रोल रूम से ही जवान की हर गतिविधि और कार्य स्थल पर उसकी मौजूदगी को अधिकारी ऑनलाइन मॉनिटर कर सकेंगे। चेकिंग स्टाफ को बॉडी वॉर्न कैमरे के साथ काम करने की व्यवस्था बनाई जा रही है। भोपाल सहित सभी जिलों में इसे प्रभावी किया जाएगा। विवेक शर्मा, परिवहन आयुक्त