विरोधाभास और लापरवाही की मिसाल इस सर्वे के दौरान एक बड़ा विरोधाभास सामने आया। पुर कस्बे स्थित महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय की ऊपरी मंजिल को सार्वजनिक निर्माण विभाग की रिपोर्ट के आधार पर वर्ष 2019 में ही नगर परिषद ने जमीदोज करने के आदेश दिए गए थे। लेकिन इसके विपरीत, समग्र शिक्षा विभाग ने वर्ष 2024-25 में इस भवन की मरम्मत के लिए 8.72 लाख रुपए स्वीकृत कर दिए। इसमें से 7.35 लाख रुपए खर्च भी कर दिए गए।
प्रधानाचार्य ने दी चेतावनी विद्यालय के प्रधानाचार्य ने 26 जुलाई को सुवाणा के सीबीईओ को पत्र लिखकर स्पष्ट रूप से कहा कि स्कूल की ऊपरी मंजिल के सभी 5 कक्षा-कक्ष गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हैं और छात्रों के उपयोग योग्य नहीं हैं। उन्होंने चेताया कि यदि इन कक्षों का उपयोग किया गया तो कभी भी गंभीर दुर्घटना हो सकती है।
फिर भी बताया गया “सही” बावजूद इसके समग्र शिक्षा विभाग की निरीक्षण टीम ने 29 जुलाई को किए गए सर्वे में इस भवन को “सुरक्षित” घोषित कर दिया। इस पर जब शिकायतें बढ़ीं तो एडीपीसी कल्पना शर्मा ने मामले को गंभीर मानते हुए एक नई टीम का गठन करते हुए पुनः निरीक्षण के लिए भेजने का निर्णय लिया है। यह निरीक्षण 2 अगस्त को होगा। इसमें आठ सदस्यों की टीम बनाई गई है।
सवाल उठे तो जवाब भी चाहिए इस मामले ने शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली और भवनों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जब 2019 में भवन को गिराने के आदेश थे, तो उस पर मरम्मत के लिए बजट क्यों जारी किया गया। 7.35 लाख रुपए कहां और कैसे खर्च किए गए। अगर भवन सुरक्षित नहीं है, तो सर्वे टीम ने इसे सही कैसे बताया। यह सब घटनाएं शिक्षा व्यवस्था में व्याप्त लापरवाही और समन्वयहीनता की ओर इशारा करती हैं। यदि समय रहते ध्यान नहीं दिया गया, तो झालावाड़ जैसी घटनाएं फिर दोहराई जा सकती हैं।
बुधवार को किए गए सर्वे की सूची ब्लॉक स्कूल कमरे
- बिजौलिया 11 20
- जहाजपुर 104 20
- मांडलगढ़ 65 42
- शाहपुरा 50 19
- सुवाणा 24 02
- आसींद 09 12
- बनेड़ा 58 73
- सहाड़ा 61 105
- रायपुर 33 22
- हुरड़ा 135 49
- बदनोर 14 30
- करेड़ा 136 39
- मांडल 66 144
- कोटड़ी 20 14
- कुल 786 591
- चार दिन में सर्वे की स्थिति
दिनांक सर्वे सीज
- 27 जुलाई 100 250
- 28 जुलाई 632 379
- 29 जुलाई 625 513
- 30 जुलाई 786 591
- कुल योग 2143 1733