‘सुर्खियों में रहना हनुमान बेनीवाल की मजबूरी’, भाजपा प्रदेश प्रवक्ता ने क्यों कहीं यह बात, जानें
Rajasthan Politics : भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता शैलेश कौशिक ने आरएलपी सांसद हनुमान बेनीवाल के विवादित बयानों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि इस प्रकार के बयानों से सुर्खियों में बने रहना हनुमान बेनीवाल की राजनीतिक मजबूरी बन चुकी है। जानें, क्यों?
Rajasthan Politics : भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता शैलेश कौशिक ने आरएलपी सांसद हनुमान बेनीवाल के पिछले कुछ दिनों से दिए जा रहे विवादित बयानों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि इस प्रकार के बयानों से सुर्खियों में बने रहना हनुमान बेनीवाल की राजनीतिक मजबूरी बन चुकी है, क्योंकि जहां एक ओर राजस्थान की विधानसभा में उनकी पार्टी की संख्या शून्य पर पहुंच चुकी है। वहीं दूसरी ओर बिजली के 11 लाख से अधिक ज्यादा रुपए बकाया होने पर कनेक्शन कटने से उनका एवं उनकी पार्टी का राजनीतिक ग्राफ आम जनता की नजरों में गिरा है।
शैलेश कौशिक ने कहाकि इसी कारण से हनुमान बेनीवाल कभी मुख्यमंत्री, कभी पूर्व मुख्यमंत्री और कभी गृह राज्य मंत्री समेत अनेक नेताओं के खिलाफ अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं जो निश्चित रूप से उनकी राजनीतिक हताशा और बौखलाहट को दर्शाता है।
घमंड में चूर हैं हनुमान बेनीवाल
शैलेश कौशिक ने कहा है कि घमंड में चूर हनुमान बेनीवाल भाजपा नेताओं पर बयानबाजी करते समय शायद यह भूल गए कि राजनीति में पहली बार 2008 में विधायक वह भाजपा की टिकट पर 24 हजार से अधिक वोटों से जीतकर बने थे, वहीं दूसरी ओर 2023 के चुनाव में उनकी जीत का अंतर मात्र 2059 रह गया और 2024 उप चुनाव में तो उनकी पत्नी को करारी हार का सामना करना पड़ा।
वहीं हनुमान बेनीवाल 2019 में सांसद भाजपा के गठबंधन के साथ और 2024 में कांग्रेस के गठबंधन के साथ बने थे, उनकी स्वयं की पार्टी का कोई राजनैतिक अस्तित्व लोकसभा चुनाव में नहीं था। हनुमान बेनीवाल की पार्टी का जीत का गिरता अंतर और उनकी पत्नी की हार बेनीवाल और उनकी पार्टी आरएलपी की गिरती लोकप्रियता का आईना है, जो कि खींवसर की जनता ने उन्हें दिखाया है।
आरएलपी एक परिवार की है पार्टी
शैलेश कौशिक ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करने से पूर्व हनुमान बेनीवाल को सोचना चाहिए कि उनकी पार्टी आरएलपी एक परिवार की पार्टी है। इसमें आज तक के इतिहास में टिकट चाहे विधानसभा चुनाव का हो या लोकसभा चुनाव का या तो स्वयं हनुमान बेनीवाल को या भाई या पत्नी को ही मिला है। इसी कारण जनता ने आरएलपी को निपटा दिया। वहीं दूसरी ओर भाजपा एक कार्यकर्ता आधारित पार्टी है।
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