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सोशल मीडिया बना ‘डिजिटल जाल’, मासूम खो रहे घर का रास्ता, पुलिस के लिए चुनौती व परिजनों के लिए सबक

प्यार, डांट और रील्स… मोबाइल की स्क्रीन पर उंगलियां दौड़ रही हैं, लेकिन असली जिंदगी फिसलती जा रही है। रील्स, चैट्स और फेक प्रोफाइल की दुनिया ने किशोरों को ऐसा घेरा है कि वे घर-परिवार से दूरी बनाने लगे हैं। नतीजा, मासूम कम उम्र में घर छोड़ने जैसे खतरनाक कदम उठा रहे है। पुलिस की मेहनत से भले ही कई बच्चों को सही सलामत घर लौटाया गया हो, लेकिन सवाल अब भी वहीं है, क्या हम अपने बच्चों के जीवन में वाकई मौजूद हैं…

बस्सीMay 25, 2025 / 05:27 pm

vinod sharma

सोशल मीडिया बना 'डिजिटल जाल',नाबालिग हो रहे लापता

एक समय था जब बच्चों की दुनिया घर, स्कूल और दोस्तों तक सीमित होती थी। अब उनकी दुनिया एक स्क्रीन में समा गई है…

एक समय था जब बच्चों की दुनिया घर, स्कूल और दोस्तों तक सीमित होती थी। अब उनकी दुनिया एक स्क्रीन में समा गई है, जहां रिश्ते वर्चुअल हैं, भावनाएं इमोजी में बदल गई हैं और निर्णय रील्स देखकर लिए जा रहे हैं। सोशल मीडिया की इस चकाचौंध ने बच्चों की सोच पर ऐसा असर डाला है कि वे रियल और वर्चुअल लाइफ में फर्क करना भूलते जा रहे हैं। राजस्थान के जयपुर जिले के चौमूं और गोविंदगढ़ क्षेत्र इसका बड़ा उदाहरण बनकर सामने आए हैं, जहां बीते 3 वर्षों में 100 से अधिक नाबालिग घर छोड़कर लापता हो गए। हालांकि पुलिस ने इनकी तलाश कर परिजनों को राहत दी, लेकिन यह घटनाएं अभिभावकों और समाज के लिए एक चेतावनी हैं, अब भी नहीं जागे, तो बहुत देर हो जाएगी।
स्क्रीन के पीछे गुम हो रहे हैं सपने: 3 साल में 121 बच्चे लापता
डिजिटल दौर में सोशल मीडिया किशोरों की सोच और व्यवहार को गहराई से प्रभावित कर रहा है। चौमूं और गोविंदगढ़ सर्किल में पिछले तीन वर्षों में 100 से अधिक नाबालिगों के लापता होने के मामले सामने आए हैं। पुलिस की जांच में सामने आया है कि सोशल मीडिया की लत, माता-पिता की अनदेखी और एकल परिवारों में बच्चों की गतिविधियों पर नजर न रख पाना प्रमुख कारण हैं। पुलिस ने इन मामलों में गंभीरता दिखाते हुए अब तक 121 बच्चों को सकुशल दस्तयाब कर उनके परिजनों से मिलवाया है। इनमें 39 बालक और 86 बालिकाएं शामिल हैं।
प्रमुख कारण: प्रेम प्रसंग और पारिवारिक डांट
जयपुर कमिश्नरेट के चौमूं थानाप्रभारी प्रदीप शर्मा के अनुसार, 2022 से अब तक चौमूं थाने में 56 नाबालिगों के गुमशुदगी के केस दर्ज हुए हैं, जिनमें से 55 को दस्तयाब कर लिया गया है। पुलिस रिपोर्ट बताती है कि अधिकतर मामलों में नाबालिगों के भागने के पीछे दो मुख्य कारण उभरे हैं, प्रेम संबंध और परिजनों द्वारा डांटना या फटकार लगाना।
रील और रियल लाइफ में फर्क नहीं समझ पा रहे किशोर
गोविंदगढ़ डीएसपी राजेश जांगिड़ ने बताया, सोशल मीडिया पर अश्लील और भ्रमित करने वाली रील्स किशोरों को गुमराह कर रही हैं। वे रील और रियल लाइफ में फर्क नहीं कर पा रहे। देर रात तक चैटिंग, छुपाकर मोबाइल का इस्तेमाल और फेक प्रोफाइल से बातचीत आम हो गई है। उन्होंने यह भी कहा कि अभिभावकों को सतर्क और संवादशील होने की जरूरत है। अगर बच्चा बार-बार महंगी चीजों की मांग कर रहा है, तो उसका कारण जानने की कोशिश करें, नजरअंदाजी न करें।
सोशल मीडिया से शुरू हुई दोस्ती, फिर लापता
एक 17 वर्षीय किशोरी ‘कोमल’ (परिवर्तित नाम) की सोशल मीडिया पर एक युवक से दोस्ती हुई। धीरे-धीरे दोनों मिलने लगे और एक दिन वह घर से लापता हो गई। हालांकि पुलिस ने समय पर कार्रवाई करते हुए उसे दस्तयाब कर लिया।
गेम की लत बनी कारण, घर की डांट से भागा
एक अन्य केस में 16 वर्षीय ‘मोनू’ (परिवर्तित नाम) पढ़ाई में तेज था, लेकिन सोशल मीडिया और ऑनलाइन गेम की लत लग गई। पढ़ाई में गिरावट के बाद परिजनों ने डांट लगाई, जिससे आहत होकर वह घर से भाग गया। पुलिस ने उसे भी सुरक्षित खोज निकाला।
समाज और अभिभावकों के लिए चेतावनी संकेत
इन घटनाओं से यह स्पष्ट है कि बच्चों की डिजिटल दुनिया में बढ़ती मौजूदगी उन्हें मानसिक और भावनात्मक रूप से प्रभावित कर रही है। यह समाज और अभिभावकों के लिए एक गंभीर चेतावनी है। सिर्फ मोबाइल देने से नहीं, बच्चों के डिजिटल व्यवहार और भावनात्मक स्थिति पर भी बराबर ध्यान देना होगा।
गोविंदगढ़ डीएसपी सर्किल…
गुमशुदा होने के प्रकरण दर्ज: 68
नाबालिग लड़की लापता: 53
दस्तयाब: 51
नाबालिग लड़के लापता: 18
दस्तयाब : 18

जयपुर कमिश्नररेट का चौमूं थाना…
गुमशुदा के दर्ज प्रकरण: 56
नाबालिग लड़की लापता: 35
दस्तयाब: 34
नाबालिक लड़के लापता: 21
दस्तयाब: 21

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