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बाड़मेर

ये तो नाम नामत्र के हैं इं ग्लिश स्कूल, सुविधाएं बेहद खराब

अंग्रेजी की पढ़ाई और हिंदी के शिक्षक- इन विद्यालयों में अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई होनी है लेकिन शिक्षक प्रतिनियुक्ति पर हिंदी माध्यम के विद्यालयों से लगाए गए हैं। ऐसे में अंग्रेजी मीडियम की जगह हिंदी माध्यम से पढ़ाई हो रही है।

बाड़मेरMay 19, 2025 / 02:18 pm

Dilip dave

– महात्मागांधी स्कूलों के हाल बदहाल

बाड़मेर. कहने को तो ये अंग्रेजी मीडियम सरकारी विद्यालय है लेकिन सुविधाएं यहां नाम मात्र की ही है। कमरों की कमी पर विद्यार्थी छप्परों में पढ़ रहे हैं जबकि पानी के टांके बने लेकिन कनेक्शन नहीं है। शौचालयों की कमी है। ग्यारहवीं व बारहवीं विज्ञान वर्ग शुरू तो कर दिया लेकिन साइंस लैब ही नहीं बनाई। ऐसे में बच्चे प्रैक्टिक करेंगे तो कहां, हालांकि अधिकांश विद्यालय अभी भी दसवीं तक ही संचालित हो रहे हैं।
महात्मागांधी अंग्रेजी माध्यम विद्यालय सुविधाओ के नाम पर शून्य

ऐसे में इंग्लिश मीडियम का सपना साकार नहीं हो रहा है। गौरतलब है कि पूर्ववर्ती सरकार ने अंग्रेजी माध्यम शिक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से इन स्कूलों की शुरुआत की गई थी, लेकिन अब तक यहां सुविधाओं का टोटा ही है। जिले के विद्यालयों की िस्थति यह है कि 121 में से अधिकांश विद्यालयों में सबसे बड़ी समस्या कक्षाकक्षों की है। जिला मुख्यालय व दो-चार ब्लॉक मुख्यालय के विद्यालयों को छोड़ दिया जाए तो सौ से अधिक स्कूल में कक्षाकक्ष कम है। इसके चलते कहीं बच्चे छप्परे के नीचे पढ़ रहे हैं तो कहीं पेड़ तले बच्चे पढ़ रहे हैं।
शौचालय कम, पानी का टोटा- महात्मागांधी विद्यालयों में शौचालय की कमी बड़ी समस्या है। विद्यालयों में दो-तीन शौचालय हैं जबकि बच्चों की तादाद सौ से ज्यादा होने पर अधिक की जरूरत है। वही,कई विद्यालयों में बालिकाओं के लिए भी शौचालय अपर्याप्त है। विद्यालयों में पानी के टांके जरूर बने हुए हैं लेकिन नल कनेक्शन नहीं होने से टैंकरों से जलापूर्ति हो रही है। दूर-दराज से पानी का प्रबंध करना विद्यालय प्रबंधन के लिए मुश्किल हो रहा है।
साइंस की पढ़ाई और लैब ही नहीं- इन विद्यालयों में विज्ञान संकाय की पढ़ाई होनी है। विज्ञान में विद्यार्थियों को प्रयोग के लिए लैब की जरूरत रहती है लेकिन सभी विद्यालयों में अब तक लैब की स्वीकृति नहीं है। हालांकि अभी तक इन विद्यालयों 11वीं,12वीं की पढ़ाई आरंभ नहीं हुई है लेकिन इस सत्र से यह हो जाएगी, जिस पर यहां लैब की भी जरूरत रहेगी।
सरकार करें व्यवस्थाएं– अंग्रेजी मीडियम स्कूल नाम मात्र के ही है। यहां सुविधाओं का टोटा है। ताज्जुब की बात यह है कि ऐसे विद्यालय छप्पर में चल रहे हैं। सरकार इनमें सुविधाएं बढ़ाए जिससे कि विद्यार्थियों को फायदा हो सके।- छगनसिंह लूणू, प्रदेशाध्यक्ष राजस्थान शिक्षक संघ सियाराम प्राथमिक
नाम मात्र के इंग्लिश मीडियम- जिले में अधिकांश स्कूल नाममात्र के इंग्लिश मीडियम है। यहां सुविधाओं का टोटा है। सरकार ध्यान नहीं देगी तो ग्रामीण प्रतिभाओं को इनका फायदा नहीं मिलेगा।- भैराराम भाखर, शिक्षक नेता राजस्थान शिक्षक संघ प्रगतिशील

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