जवाब : यह मशीनरी है। आज आपके साथ है। कल किसी और की सरकार आई तो उसके साथ होगी। आपने बाहुबली फिल्म देखी होगी। उसमें एक किरदार है कटप्पा। वो कटप्पा सिंहासन से बंधा होता है। उसे ने भल्लाल देव से मतलब है न बाहुबली से। उसी तरह जो भी सिस्टम और मशीनरी है, आप उससे जितना बढिय़ा काम करवाएंगे तो जनता भी खुश रहेगी। जाहिर सी बात है जो सिंहासन के पास रहने वाले लोग हैं, वे सही समय पर, सही उपयोग कर सही लोगों को भला कर सकते हैं।
जवाब : आप एक बात समझिए। अफसर और ये प्राइवेट कंपनियां गरीब और ग्रामीणों को कुछ नहीं समझते हैं। ग्रामीण तीन महीने से ज्यादा समय से धरने पर बैठे थे। लेकिन अफसर, कंपनी के कर्मचारी एक नहीं सुन रहे थे। मैंने पहले प्रयास किया कि बातचीत से हल निकाला जाए, लेकिन अफसर कंपनी की भाषा बोल रहे थे। जब बात नहीं बनी तब वहीं पर खाट डालकर रात में डेरा डाल दिया।
सवाल: बाड़मेर-जैसलमेर में हाइटेंशन लाइन व सोलर प्लांट के लिए पेड़ों की कटाई और खेतों की जमीन का बड़ा मुद्दा है। आखिर ये मनमानी क्यों हो रही है?
जवाब : आपने सही कहा। हाइटेंशन लाइन वाले मुद्दे पर मैंने थाने के सामने धरना दिया। उसके बाद कंपनी ने ग्रामीणों को पांच गुना ज्यादा मुआवजा दिया। लेकिन यह सही है कि प्रशासन और अफसर कंपनियों के फेवर में काम कर रहे हैं। हालात ऐसे हैं कि प्रशासन की शह पर ही कंपनी वाले ग्रामीणों से दादागिरी करते हैं। जबकि दादागिरी तो जनता की चलनी चाहिए। जनता ने हमें चुनकर भेजा है। जनता ने सरकार बनाई है। और सरकार की जवाबदेही भी जनता के प्रति है।
जवाब : प्रशासन तो यही कहेगा। सोलर प्लांट और हाइटेंशन लाइन डालने वाली कंपनियों को प्रशासन तो खुलेआम सहयोग कर रहा है। कंपनियों को सुरक्षा के लिए जाब्ता भेजता है। कंपनियों के पक्ष में अफसरों द्वारा ग्रामीणों को धमकाने के मामले भी सामने आए हैं। मैंने तो इस मामले में सरकार से जानकारी मांगी है कि जैसलमेर-बाड़मेर में किस-किस के कहने पर कंपनियों को जाब्ता भेजा गया।
जवाब : मैं भविष्य के बारे में ज्यादा नहीं सोचता। अभी तो जो चल रहा है वो ठीक है। आगे का कुछ पता नहीं। अभी तक जनता ने मुझे प्यार दिया। विधायक बनाया। और लोकसभा में भी छह लाख से ज्यादा वोट दिए।
जवाब : देखिए, मैं खुद छात्र राजनीति से निकला हूं। मैं जानता हूं कि विश्वविद्यलयों में छात्रसंघ चुनाव हमारे विधानसभा-लोकसभा चुनावों की नर्सरी हैं। हमारे ज्यादातर दिग्गत नेता छात्रसंघ चुनावों से ही निकले हैं। चुनाव नहीं होंगे तो छात्र केवल नेताओं के पीछे घूमने वाले बनकर रह जाएंगे। मैं सदन में छात्रों की बात रखूंगा।
जवाब : मेरे पिताजी शिक्षक हैं। साधारण परिवार से हूं। किसने सोचा था कि मैं एक दिन विधायक बनूंगा। लेकिन छात्र राजनीति की बदौलत ही मैं यहां तक पहुंचा। विधानसभा में ऐसे कई दिग्गज हैं, जो छात्र राजनीति से निकले हैं और जनता की बात को रखते हैं। विधानसभा में सदन के उपसभापति संदीप शर्मा भी छात्रसंघ अध्यक्ष रह चुके हैं।