तालाब में अब जहरीला केमिकल पानी डोली कलां निवासी अशोक कुमार प्रजापत ने बताया कि पहले यह तालाब मीठे पानी का एकमात्र स्रोत था। लेकिन अब इसकी स्थिति यह हो गई है कि इंसान तो क्या, मवेशी भी इस पानी को नहीं पी सकते। उन्होंने बताया कि फैक्ट्रियों से निकलने वाला रसायन अब भूजल में भी मिल गया है। बोरिंग करवाने पर भी केवल केमिकल युक्त पानी ही निकलता है। कुछ गांवों में पहले पेयजल कनेक्शन दिए गए थे, लेकिन पानी महीने में केवल एक बार आता है। डोली कलां गांव का एकमात्र कुआं, जो इन गांवों के लिए सहारा था, अब चारों तरफ से रासायनिक पानी से घिर चुका है। गांव की श्मशान भूमि भी इसी जहरीले बहाव में डूब चुकी है। ग्रामीणों को अब यह भी नहीं पता कि कुएं का पानी पीने लायक है या नहीं।
16 गांवों के लोग इस तालाब और कुएं पर निर्भर इन गांवों में डोली कलां, साहिब नगर, डोली खुर्द, डोली राजगुरा, गोदावास कलां, गोदावास, शिवनगरी, अराबा दुदावत, अराबा उड़ा, हालिया, ओपूजी की ढाणी, ग्वालनाडा, अराबा चौहान, महलबा, मोदीथली और पारलिया धामाट शामिल हैं। सभी गांव अब जल संकट की विकट स्थिति से जूझ रहे हैं। बारिश के बाद जहरीले बहाव ने और विकराल रूप ले लिया है। डोली गांव में स्थित श्मशान घाट के चारों ओर भी केमिकल युक्त पानी भरा हुआ है, जिससे अंतिम संस्कार की जगह तक पहुंचना भी मुश्किल हो गया है।
सबसे ज्यादा प्रभावित गांव धवा, मैलबा, डोली, अराबा, साहिब नगर और बाबलो की ढाणी जैसे गांवों में हालात सबसे ज्यादा गंभीर हैं। ये सभी गांव नदी के किनारे बसे हुए हैं और फैक्ट्रियों का रासायनिक पानी इन तक सीधे पहुंच चुका है। कल्याणपुर जोधपुर से करीब 80 किलोमीटर दूर स्थित है, लेकिन यहां तक प्रदूषित पानी का पहुंचना संकट की गहराई को दर्शाता है। ग्रामीण भरत सिंह ने बताया कि जिस कुएं पर पहले 16 गांव निर्भर थे, आज उसमें भी केमिकल का पानी है। अब इंसान तो क्या, मवेशी तक नहीं पी पा रहे। नर्सिंग राम डोली ने बताया कि डोली गांव का एकमात्र कुआं चारों ओर से जहरीले पानी से घिर चुका है। तालाब का पानी बदबू मारने लगा है। अब यहां का पानी पीना तो दूर, देखना भी मुश्किल है।