“अधिकार आधे, अपेक्षाएं पूरी कैसे
डॉ. गौतम ने अपने संबोधन में कहा: “इंदौर, अहमदाबाद और सूरत जैसे शहरों में महापौर को ट्रैफिक, PWD, विकास प्राधिकरण और नगर निगम सभी पर अधिकार हैं, जिससे वो एकीकृत शहरी विकास कर पा रहे हैं। इसके विपरीत बरेली नगर निगम के पास न संसाधन हैं न पूर्ण अधिकार।”74वें संशोधन के पूर्ण क्रियान्वयन की मांग
बैठक में पारित प्रस्ताव के अनुसार, महापौर परिषद के सदस्य अपने-अपने राज्यों के मुख्यमंत्रियों और भारत के प्रधानमंत्री को ज्ञापन देंगे, जिसमें यह मांग की जाएगी कि:बच्चे भी देंगे अपनी आवाज, सीएम और पीएम को सौंपा जाएगा ज्ञापन
डॉ. उमेश गौतम ने यह भी ऐलान किया कि बरेली के स्कूली बच्चे भी इस अभियान का हिस्सा बनेंगे। वे राज्य के मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री को ज्ञापन सौंपेंगे, ताकि नीति-निर्माताओं तक आमजन की आवाज पहुंचे।महापौर परिषद का व्यापक उद्देश्य
अखिल भारतीय महापौर परिषद की इस बैठक में बिहार, पंजाब, राजस्थान, महाराष्ट्र, एमपी, यूपी सहित कई राज्यों के महापौरों ने भाग लिया। सबने समान अधिकार, स्वायत्तता, और रैंकिंग के लिए निष्पक्ष व्यवस्था की मांग पर सहमति जताई।विश्लेषण: क्या वाकई बरेली और इंदौर की तुलना जायज़ है
इंदौर पिछले सात वर्षों से लगातार भारत का सबसे स्वच्छ शहर घोषित हो रहा है। परंतु उसके पीछे प्रशासनिक समन्वय, संसाधनों की उपलब्धता और महापौर को मिले अधिनायक अधिकारों की बड़ी भूमिका है।बरेली जैसे शहरों में ये अधिकार सीमित हैं, और यही मुद्दा अब राष्ट्रीय मंच पर उठाया जा रहा है।
बरेली के महापौर डॉ. उमेश गौतम की यह मांग सिर्फ एक शहर की नहीं, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों के नगर निगमों की आवाज बनती जा रही है। यदि 74वां संशोधन सभी राज्यों में समान रूप से लागू हो, तभी पूरे देश में शहरी विकास और रैंकिंग में न्याय हो सकेगा।