इस तरह बनते है इंटर्न फॉरेन मेडिकल ग्रेजूएट एग्जामिनेशन (एफएमजीई) छात्रों को भारत में मेडिकल प्रेक्टिस शुरू करने की अनुमति के लिए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) से पात्रता परीक्षा पास करनी होती है। यह परीक्षा पास करने के बाद भी भारत सरकार की ओर से एक साल की अलग से इंटर्नशिप का प्रावधान किया हुआ है। इसके तहत यह छात्र यहां इंटर्नशिप करने पहुंच रहे है। मेडिकल इंटर्न इन छात्रों ने यूक्रेन, कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, फिलिङ्क्षपस, बांग्लादेश आदि विभिन्न देशों से मेडिकल डिग्री प्राप्त की है।
लेंगे व्यावहारिक अनुभव में दक्षता इंटर्नशिप के दौरान विभिन्न विभागों में कुछ दिनों का तथा मेडिसिन, सर्जरी, बाल चिकित्सा व गायनी जैसे बड़े विभागों में एक से तीन माह का वरिष्ठ चिकित्सकों की देखरेख में व्यावहारिक अनुभव का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इससे इन्हें वास्तविक चिकित्सा स्थितियों का सामना कर एक पूर्ण डॉक्टर बनने के लिए आवश्यक कौशल और ज्ञान प्राप्त होगा। इंटर्नशिप के बाद आरपीएससी के माध्यम से वेंकेंसी के आधार पर नियमानुसार भर्ती का प्रावधान है।
सूत्रों ने बताया कि एफएमजीई इंटर्न छात्रों की ड्यूटी व संबंधीत कार्यो के लिए अलग से डॉ. पूजा मीणा को नोडल अधिकरी लगाया गया है। फिलहाल नोडल अधिकारी ने ड्यूटी चार्ट बनाकर 4-4 के बैच में जिला अस्पताल में लगाने का शिड्यूल तैयार किया है। बाद में प्रिवेंटिव सोशियल मेडिसिन ब्रांच (पीएसएम) के फैमली एडोपशन प्रोग्राम के तहत जिले के जिन उपजिला अस्पतालों में सर्जरी, मेडिसिन और गायनी के विशेषज्ञ है। उन अस्पतालों में लगाए जाने का प्रावधान है। इसके लिए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय से ऐसे अस्पतालों की सूची मांगी गई है।
यहां इंटर्नशिप की 100 सीटें आवंटित है। इस पर 68 इंटर्न मिले, लेकिन सोमवार को अंतिम तिथि तक 65 ने रिपोर्टिंग की। कॉलेज ङ्क्षप्रसिपल ने ओरियंटेशन क्लास लेकर जानकारी दी। बाद में 4-4 के बैच बनाकर कुछ को कॉलेज व शेष को जिला अस्पताल के मेडिसिन, सर्जरी, गायनी, पीडिया आदि विभाग आवंटित कर भेज दिया गया है।
डॉ. पूजा मीणा, नोडल अधिकारी, (एफएमजीई) मेडिकल कॉलेज