इस दान की खास बात यह है कि ज़मीन करीब 20 लाख रुपए की मौजूदा बाजार कीमत की है और पूरी तरह पुश्तैनी है। इसका उपयोग वेगड़ा कलाल समाज के ‘नोहरे’ के निर्माण के लिए किया जा सकेगा, जहां भविष्य में समाज के सभी सामूहिक धार्मिक, सांस्कृतिक व सामाजिक आयोजन हो सकेंगे।
मां की याद को समाजसेवा से जोड़ा
राधा देवी ने बताया कि उनकी मां रतन देवी के कोई पुत्र नहीं थे, लेकिन मां ने हमेशा समाज और रिश्तों को ही अपनी संतान व सम्बंधों की तरह सहेजा। राधा देवी की शादी 52 वर्ष पूर्व सज्जनगढ़ निवासी स्व. रतनलाल पटवारी से हुई थी, जो सेवानिवृत्ति के बाद तीन वर्ष पूर्व दिवंगत हो गए। वर्तमान में राधा देवी बांसवाड़ा के सुभाष नगर में निवास करती हैं।
समाज और परिवार ने जताया गौरव
इस भूमि के दान की घोषणा पगड़ी रस्म के अवसर पर समाजजनों और परिवार के सभी सदस्यों की मौजूदगी में की गई, जहां भावुक माहौल में सभी ने इस निर्णय की सराहना की। वेगड़ा कलाल समाज, बांसवाड़ा के प्रतिनिधियों ने इसे समाज के लिए एक स्थायी धरोहर बताया, जो आने वाली पीढ़ियों को जोड़ने का कार्य करेगी।
भवन बना तो ये कार्यक्रम होंगे आसान
समाज की ओर से कहा गया कि नोहरा बन जाने के बाद विवाह, उपनयन, श्राद्ध और अन्य संस्कारों के आयोजन के लिए एक स्थायी भवन का निर्माण किया जा सकेगा। - मैंने अपनी मां की अंतिम पगड़ी रस्म के अवसर पर यह तय किया कि उनकी स्मृति समाज की सेवा से जुड़ी रहनी चाहिए। यही सोचकर मैंने पुश्तैनी भूमि समाज को समर्पित कर दी।