हालांकि, राज्य में सीटों की संख्या कभी समस्या रही ही नहीं है। बीते कई वर्षों से हर वर्ष हजारों सीटों के लिए आवेदक नहीं मिलते हैं। गत वर्ष दोनों सरकारी और निजी कॉलेजों में हजारों सीटों पर दाखिला नहीं हुआ था। कर्नाटक परीक्षा प्राधिकरण (केइए) के अनुसार गत वर्ष 13,653 सरकारी इंजीनियरिंग कोटे की सीटें खाली रह गई थीं।कॉमन एंट्रेंस टेस्ट में इस वर्ष कुल 2,75,677 छात्र उत्तीर्ण हुए। इनमें से 2,62,195 छात्र इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए योग्य पाए गएं। पिछले वर्ष यह संख्या करीब 2.74 लाख थी।
केइए के आंकड़ों के अनुसार हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग (सीएसई) कोर्स में बड़ी संख्या में सीटें उपलब्ध हैं। इस बार कुल 38,178 सीएसई सीटें उपलब्ध हैं, जबकि पिछले साल यह संख्या 33,573 थी। इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में 20,208, इंफॉर्मेशन साइंस एंड इंजीनियरिंग में 9,108 और मैकेनिकल इंजीनियरिंग में 8,960 सीटें इस साल उपलब्ध हैं। सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों में कुल 6,255 सीटें उपलब्ध हैं। सहायता प्राप्त इंजीनियरिंग कॉलेजों में कुल 2,950 सीटें, निजी गैर-सहायता प्राप्त कॉलेजों में 95,236 सीटें, अल्पसंख्यक इंजीनियरिंग कॉलेजों में 10,440 सीटें, विश्वेश्वरैया कॉलेज इंजीनियरिंग विश्वविद्यालय (यूवीसीई) में 760 सीटें, निजी विश्वविद्यालयों में 33,120 सीटें, डीम्ड विश्वविद्यालयों में 2,280 सीटें और अधिक फीस वाले सरकारी कॉलेजों में 395 सीटें उपलब्ध हैं।