राज्य उच्च शिक्षा परिषद Karnataka Higher Education Council के उपाध्यक्ष प्रो. एस.आर. निरंजन ने इस संगोष्ठी का उद्घाटन किया। उन्होंने आज के वैश्वीकृत संदर्भ में अंत:विषय और बहुविषयक शिक्षा के महत्व पर बल दिया। उन्होंने कहा कि विदेशी भाषाएं सीखने से अंतरराष्ट्रीय संबंध मजबूत होते हैं और वैश्विक व्यापार एवं वाणिज्य में सुविधा होती है।
भारत की समृद्ध शैक्षिक विरासत के साथ तुलना करते हुए, उन्होंने नालंदा और तक्षशिला Nalanda and Takshila जैसे प्राचीन विश्वविद्यालयों का उल्लेख किया और कहा कि बीसीयू जैसे संस्थान 14 विदेशी भाषाओं में पाठ्यक्रम प्रदान करके इस विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने आधुनिक शिक्षा को पुनर्परिभाषित करने में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की परिवर्तनकारी क्षमता पर भी प्रकाश डाला।
बीसीयू के पूर्व कुलपति प्रो. लिंगराज गांधी बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित थे। बीसीयू के कार्यवाहक कुलपति प्रो. जलजा, कुलसचिव प्रो. रमेश, वित्त अधिकारी विजयलक्ष्मी और वैश्विक भाषा केंद्र की अध्यक्ष ज्योति वेंकटेश ने संगोष्ठी में अपने विचार साझा किए।