जस्टिस एस सुनील दत्त यादव की पीठ ने हाई कोर्ट में इस मामले की सुनवाई की। इस दौरान, उन्होंने कहा कि निर्वासन का आदेश नीना कुटिना और उसके के बच्चों को खतरे में डाल सकता है।
क्या कहता है अंतरराष्ट्रीय कानून?
40 वर्षीय रूसी महिला की ओर से कोर्ट में वकील बीना पिल्लई पेश हुईं। उन्होंने दलील के वक्त कोर्ट को संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार सम्मेलन (यूएनसीआरसी) के सिद्धांतों का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय कानून कहता है कि बच्चों को प्रभावित करने वाले किसी भी मामले में उनकी भलाई को प्राथमिकता देनी चाहिए। निर्वासन प्रक्रिया बच्चों के कल्याण और उनके सर्वोत्तम हित की अवहेलना करेगी। इसपर उच्च न्यायालय ने कहा कि बच्चों की भलाई को देखते हुए निर्वासन पर पुनर्विचार किया जाना महत्वपूर्व है।
आठ साल पहले खत्म हो गया था वीजा
रूसी महिला नीना कुटिना अपनी दो बेटियों के साथ गोकर्ण के रामतीर्थ पहाड़ी पर एक गुफा में पाई गईं। पुलिस ने बताया कि रूसी महिला का आठ साल पहले वीजा खत्म हो गया था। वह वीजा खत्म होने के बाद अवैध रूप से भारत में रह रही थी। रूसी महिला ने पुलिस को बताया कि वह प्रकृति के करीब रहने के लिए गोवा से कर्नाटक आई थी। 9 जुलाई को परिवार के साथ गुफा में पाए जाने के बाद, अधिकारियों ने नीना और उसके बच्चों को तुमकुरु के एक आश्रय गृह में शिफ्ट कर दिया।
उसे छुड़ाए जाने के बाद, नीना का अलग हुआ साथी ड्रोर गोल्डस्टीन सामने आया। उसने बताया कि वह अपनी दोनों बेटियों की संयुक्त कस्टडी के लिए काम कर रहा था।
2017 में इजराइली व्यवसायी ने नीना के खिलाफ दर्ज कराई थी शिकायत
2017 में इजराइली व्यवसायी द्वारा गोवा पुलिस में दर्ज कराई गई शिकायत में, गोल्डस्टीन ने नीना पर अपने बच्चों का ब्रेनवॉश करने और उन्हें उससे दूर रखने का आरोप लगाया। उसने आगे कहा कि रूसी महिला ने पैसों के लिए उसका इस्तेमाल करना शुरू कर दिया और अक्सर इजराइली व्यक्ति के साथ शारीरिक और मौखिक दुर्व्यवहार करती थी।