पीड़ित घनश्याम मिश्र वर्ष 2017 में ओएनजीसी से सेवानिवृत्त होने के बाद मऊ शहर के निजामुद्दीनपुरा मोहल्ले में रहते हैं। जानकारी के अनुसार, 30 मई को उनके मोबाइल पर एक व्हाट्सएप कॉल आई, जिसमें कॉल करने वाले ने खुद को मुंबई के कोलाबा स्थित सीबीआई दफ्तर का अधिकारी बताया।
जानिए ठग ने कैसे फंसाया
ठग ने उन्हें बताया कि उनका बैंक खाता ड्रग तस्करी और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे मामलों में संलिप्त है। डर का माहौल बनाते हुए उन्हें मोबाइल, इंटरनेट और सोशल मीडिया से कटकर ‘डिजिटल अरेस्ट’ में रहने को मजबूर किया गया। इस दौरान उन्हें निर्देशित किया गया कि जांच प्रक्रिया के तहत वे धीरे-धीरे अपनी विभिन्न बैंक खातों से पैसे ट्रांसफर करें। 18 दिन तक चली इस ठगी के दौरान पीड़ित ने कुल 37 लाख रुपये की राशि विभिन्न माध्यमों से ठगों के बताए खातों में ट्रांसफर कर दी। बाद में जब उन्हें संदेह हुआ तो उन्होंने स्थानीय पुलिस और साइबर थाना को मामले की जानकारी दी।
घनश्याम मिश्र ने अब डीआईजी से मिलकर आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। पुलिस का कहना है कि मोबाइल नंबर और ट्रांजैक्शन डिटेल के आधार पर जांच की जा रही है। जल्द ही दोषियों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।