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Chandra Grahan 2025: भारत में पहला चंद्र ग्रहण कब? सूतक काल होगा मान्य, जानिए समय और तारीख

Chandra Grahan 2025: भारत में कब लगेगा साल का पहला चंद्र ग्रहण ।ऐसे में जानना जरूरी है कि इस बार चंद्र ग्रहण कब लग रहा है, इसका सूतक काल क्या होगा और इसे कहां-कहां देखा जा सकेगा।

भारतJul 29, 2025 / 08:35 pm

MEGHA ROY

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फोटो सोर्स – Freepik

Chandra Grahan 2025: साल 2025 खगोलीय दृष्टिकोण से बेहद खास रहने वाला है। इस वर्ष लगने जा रहा है पहला और साल का अंतिम चंद्र ग्रहण, लेकिन भारत में केवल एक ही ग्रहण दिखाई देगा और वही पहला भी होगा और अंतिम भी। यह खगोलीय घटना न केवल वैज्ञानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि धार्मिक और आध्यात्मिक रूप से भी इसका विशेष स्थान है। भारतीय परंपरा में ग्रहण के समय विशेष नियमों का पालन करने की परंपरा रही है। ऐसे में जानना जरूरी है कि इस बार चंद्र ग्रहण कब लग रहा है, इसका सूतक काल क्या होगा और इसे कहां-कहां देखा जा सकेगा।

भारत में पहला चंद्र ग्रहण कब लगेगा? ( Chandra Grahan 2025 in India Date)

साल 2025 का पहला और अंतिम पूर्ण चंद्र ग्रहण 7 सितंबर 2025 को लगेगा। यह दिन भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि को पड़ रहा है, जो धार्मिक रूप से भी अत्यंत शुभ मानी जाती है। यह ग्रहण भारत सहित कई देशों में दिखाई देगा।

चंद्र ग्रहण का समय (Chandra Grahan 2025 in India Time)

यह पूर्ण चंद्र ग्रहण 7 सितंबर की रात 9 बजकर 58 मिनट पर आरंभ होगा और देर रात 1 बजकर 26 मिनट पर समाप्त होगा। इसकी पूर्णता का समय रात 11 बजकर 42 मिनट पर होगा। लगभग 3.5 घंटे की अवधि वाला यह खगोलीय दृश्य भारत में नग्न आंखों से स्पष्ट रूप से देखा जा सकेगा।

Lunar Eclipse: कहां-कहां दिखेगा यह ग्रहण?

क्षेत्र / स्थानदृश्यता स्थिति
भारत सहित एशियास्पष्ट रूप से दिखाई देगा
यूरोपदृश्य
अंटार्कटिकादृश्य
ऑस्ट्रेलियादृश्य
प्रशांत महासागरदृश्य
अटलांटिक महासागरदृश्य
हिंद महासागरदृश्य

सूतक काल की मान्यता

चंद्र ग्रहण जब भारत में दृश्य होता है, तब उसका सूतक काल भी मान्य माना जाता है। सूतक काल वह अवधि होती है, जो ग्रहण लगने से पहले शुरू होती है और ग्रहण समाप्त होने तक चलती है। इस बार सूतक काल की शुरुआत 7 सितंबर को दोपहर 12:58 बजे से होगी और यह चंद्र ग्रहण की समाप्ति तक, यानी रात 1:26 बजे तक प्रभावी रहेगा। इस समयावधि को विशेष रूप से शुद्धता और संयम से जुड़ा माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सूतक काल के दौरान पूजा-पाठ, भोजन, यात्रा, शुभ कार्यों और दान आदि से परहेज करना चाहिए। यह समय आत्मचिंतन और शांति से बिताने की परंपरा से जुड़ा होता है, जिससे नकारात्मक प्रभावों से बचा जा सके।

ग्रहण के दौरान क्या न करें?

-मंदिरों के कपाट बंद रहते हैं, मूर्तियों को न छुएं।

-ग्रहण काल में पूजा-पाठ, मंत्र-जप आदि से बचें।

-गर्भवती महिलाएं विशेष सावधानी बरतें क्योंकि ग्रहण देखना, बाहर निकलना और धारदार वस्तुओं का उपयोग करना वर्जित होता है।

-इस समय खाना न पकाएं और पहले से बना खाना भी ग्रहण काल में सेवन न करें।

-श्रृंगार, नाखून काटना, बाल कटवाना और तेल मालिश न करें।

-ग्रहण को सीधे आंखों से न देखें, यह आंखों के लिए हानिकारक हो सकता है।

ग्रहण के बाद क्या करें?

-ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान करें।

-घर की साफ-सफाई करें और पूजा स्थल को शुद्ध करें।

-दान-पुण्य करें, विशेषकर अन्न, वस्त्र और दक्षिणा का दान शुभ माना जाता है।
-तुलसी के पत्ते ग्रहण काल में खाने वाली चीजों में डालकर रखा जा सकता है ताकि वे अशुद्ध न हों।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण

चंद्र ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है, और पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है। यह एक पूर्ण प्राकृतिक खगोलीय घटना है, जो सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की सही स्थिति के कारण होती है।

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